[[रावण]] के पुत्र [[मेघनाद|मेघनाथ]] ने रामलक्ष्मण से युद्ध करते हुये [[रामलक्ष्मण]] को नागपाश से बाँध दिया था। देवर्षि [[नारद]] के कहने पर गरूड़, जो कि सर्पभक्षी थे, ने नागपाश के समस्त नागों को खाकर राम को नागपाश के बंधन से छुड़ाया। राम के इस तरह नागपाश में बँध जाने पर राम के परमब्रह्म होने पर गरुड़ को सन्देह हो गया। गरुड़ का सन्देह दूर करने के लिये देवर्षि नारद उन्हें ब्रह्मा के पास भेजा। ब्रह्मा जी ने उनसे कहा कि तुम्हारा सन्देह भगवान शंकर दूर कर सकते हैं। भगवान शंकर ने भी गरुड़ को उनका सन्देह मिटाने के लिये [[काकभुशुण्डि]] जी के पास भेज दिया। अन्त में [[काकभुशुण्डि]] जी राम के चरित्र की पवित्र कथा सुना कर गरुड़ के सन्देह को दूर किया।