"प्यार": अवतरणों में अंतर
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==प्रेम के रूप==
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एक व्यक्ति किसी [[वस्तु]], या [[तत्त्व|तत्व]], या [[लक्ष्य]] से प्रेम कर सकता है जिनसे वो जुडा़ है या जिनका वो [[सम्मान]] करता है। इनसान किसी [[वस्तु]], [[प्राणी|जानवर]] या [[कार्य (भौतिकी)|कार्य]] से भी प्यार कर सकता हैं जिसके साथ वो निजी जुड़ाव महसूस करता है और खुद को जुडे़ रखना चाहता है। अवैयक्तिक प्यार सामान्य प्यार जैसा नहीं है, ये इनसान के [[आत्मा]] का नज़रिया है जिससे दूसरों के प्रति एक [[शान्ति]] पूर्वक [[मानसिक]] रवैया उत्पन्न होता है जो [[दया]], [[संयम]], [[माफी][ और [[अनुकंपा]] आदि भवनाओं से व्यक्त किया जाता है। अगर सामान्य [[वाक्य और वाक्य के भेद|वाक्य]] में कहा जाए तो अवैयक्तिक प्यार एक व्यक्ति के दूसरों के प्रति व्यवहार को कहा जाता हैं। इसिलिए, अवैयक्तिक प्यार एक वस्तु के प्रति इनसान के सोच के ऊपर आधारित होता है।
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[[होमो सेपियन्स|मनुष्य]] के बीच के प्यार को पारस्पारिक प्यार कहते हैं। ये सिर्फ एक दूसरे के लिये चाह नहीं है बल्कि एक शक्तिशाली भाव है। जिस प्यार के भावनाओं को विनिमय नहीं किया जाता उसे अप्रतिदेय प्यार कहते हैं। ऐसा प्यार [[परिवार]] के सदस्यों, [[दोस्तों]] और प्रेमियों के बीच पाया जाता हैं। पारस्पारिक रिश्ता दो [[होमो सेपियन्स|मनुष्य]] के साथ मज़बूत, गहरा और निकट सहयोग होता है। ये [[रिश्ता]] अनुमान, एकजुटता, नियमित व्यापार बातचीत या समाजिक प्रतिबद्धित कारणों से बनता है। ये समाजिक, सांस्कृतिक और अन्य कारक से प्रभावित हैं। ये प्रसंग [[परिवार]], रिश्तेदारी, दोस्ती, [[विवाह उत्सव|शादी]], सहकर्मी, [[काम]], पड़ोसी और [[मन्दिर]]-[[मस्जिद]] के अनुसार बदलता है। इसे [[विधि|कानून]] के द्वारा या रिवाज़ और आपसी समझौते के द्वारा विनियमित किया जा सकता है। ये समाजिक समूहों और [[समाज]] का आधार है।
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[[वासना]] प्रारंभिक आवेशपूर्ण [[यौन]] इच्छा है, जो [[सम्भोग|संभोग]] को बढ़ावा देता है। ये [[सम्भोग|समागम]] और [[रसायन]] की रिहाई को बढ़ावा देता है। इसका प्रभाव कुछ हफ्ते या महिनों तक ही होता है। आकर्षण एक व्यक्तिगत और रोमानी इच्छा है जो एक ही [[होमो सेपियन्स|मनुष्य]] के प्रति है जो [[वासना|हवस]] से उत्पन्न होती है। इससे एक व्यक्ति से प्रतिबद्धता बढ़ती है। जैसे जैसे [[होमो सेपियन्स|मनुष्य]] प्यार करने लगते हैं, उनके [[मस्तिष्क]] में एक प्रकार के [[रसायन]] की रिहाई होती हैं। मनुष्य के [[मस्तिष्क]] में सुखों के केन्द्र को [[उत्तेजित]] करता है। इस वजह से [[हृदय|दिल]] कि धड़कनें बढ़ जाती हैं, [[भूख]] नहीं लगती, [[निद्रा|नींद]] नहीं आती और उत्साह की तीव्र भावना जाग्रृत होती है। आसक्ति ऐसा लगाव है जिससे सालों रिश्तों की बढ़ोतरी होती है। आसक्ति प्रतिबद्धता पर निर्भर करती है जैसे [[विवाह उत्सव|शादी]], [[बच्चे]] या दोस्ती पर।
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मनोविज्ञान में संज्ञानात्मक और समाजिक घटना को दर्शाया जाता है। मनोविज्ञानी रोबेर्ट स्टर्न्बर्ग ने प्यार के त्रिभुजाकार सिद्धांत को सूत्रबद्ध किया हैं। उन्होंने तर्क किया के प्यार के तीन भिन्न प्रकार के घटक हैं: आत्मीयता, प्रतिबद्धता और जोश। आत्मीयता वो तत्व है जिसमें दो मनुष्य अपने आत्मविश्वास और अपने ज़िन्दगी के व्यक्तिगत विवरण को बाँटते हैं। ये ज़्यादातर दोस्ती और रोमानी कार्य में देखने को मिलता है।
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प्रतिबद्धता एक उम्मीद है कि ये रिश्ता हमेशा के लिये कायम रहेगा। आखिर में यौन आकर्षण और जोश है। आवेशपूर्ण प्यार, रोमानी प्यार और आसक्ति में दिखाया गया है। प्यार के सारे प्रपत्र इन घटकों का संयोजन होता हैं। पसन्द करने में आत्मीयता शामिल् होती हैं। मुग्ध प्यार में सिर्फ जोश शामिल होता हैं। खालि प्यार में सिर्फ प्रतिबद्धता शामिल हैं। रोमानी प्यार में दोनो आत्मीयता और जोश शामिल होता हैं। साथी के प्यार में आत्मीयता और प्रतिबद्धता शामिल होता हैं। बुद्धिहीन प्यार में प्रतिबद्धता और जोश शामिल हैं। आखिर् में, घाघ प्यार में तीनों शामिल होते हैं।
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विकासवादी मनोविज्ञान ने प्यार को जीवित रहने का एक प्रमुख साधन साबित करने के लिए अनेक कारण दिया हैं। इनके हिसाब से मनुष्य अपने जीवनकाल में अभिभावकिय सहायता पर अन्य स्तनपायियों से ज़्यादा निर्भर रहते हैं, प्यार को इस वजह से अभिभावकीय सहारे को प्रचार करने का तंत्र भी माना गया हैं। ये इसलिये भी हो सकता हैं, क्योंकि प्यार के कारण यौन संचारित रोग हो सकता है जिसकी वजह से मनुष्य के जननक्षमता पर असर पड़ सकता हैं, भ्रूण पर चोट आ सकती हैं, बच्चे पैदा करते वक़्त उलझनें भी हो सकती हैं इत्यादि। ये सब चीजें जानने के बाद समाज में बहुविवाह की पद्दति रुक सकती हैं।
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