"नागरिक शास्त्र": अवतरणों में अंतर
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तकनीकी तौर पर, '''नागरिक शास्त्र''' (Civics) अच्छी [[नागरिकता]] का अध्ययन है। दूसरे शब्दों में यह [[नागरिकता]] के सैद्धान्तिक, राजनैतिक एवं व्यावहारिक पक्षों का अध्ययन है। इसके अलावा नागरिक शास्त्र में नागरिकों के [[अधिकार|अधिकारों]] और कर्तव्यों का अध्ययन भी किया जाता है। [[कर्तव्य]] के अंतर्गत किसी [[राजनैतिक संस्था]] के सदस्य के रूप में नागरिकों के एक-दूसरे के प्रति कर्तव्य तथा सरकार के प्रति कर्तव्य आते हैं। नागरिक शास्त्र में नागरिक कानूनों और [[नागरिक संहिता]] का अध्ययन तथा नागरिकों के भूमिका को दृष्टिगत रखते हुए [[सरकार]] का अध्ययन आदि सम्मिलित होते हैं।
;1. नागरिकशास्त्र का अध्ययन प्रजातन्त्र की सफलता हेतु आवश्यक है-
प्रजातन्त्र की सफलता में नागरिकों का बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। नागरिकों के लिए यह आवश्यक है कि वह सद्गुणों से ओत-प्रोत हों और यह विषय प्रारम्भिक स्तर से ही हमें आदर्श नागरिकता के गुणों का प्रशिक्षण देता है और हमें सामाजिक तथा नागरिक दक्षता देता है। इस विषय द्वारा हमें अपने पास-पड़ौसे, ग्राम, नगर, राज्य व राष्ट्र के किषय में विस्तृत जानकारी मिलती है साथ ही इस बात का भी ज्ञान मिलता है कि नागरिक होने के नाते हमारे क्या अधिकार व क्या कर्त्तव्य हैं। माध्यमिक शिक्षा आयोग में सही कहा गया है, “लोकतन्त्र में नागरिकता एक चुनौतीपूर्ण दायित्व है जिसके लिये प्रत्येक नागरिक को सतर्कता के साथ प्रशिक्षित किया जाना परमावश्यक है।”
;2. सामाजिक चेतना के विकास हेतु आवश्यक है-
नागरिकशास्त्र एक नागरिक को इस बात का ज्ञान कराता है कि इस समाज का उसके लिए क्या महत्त्व है व समाज के प्रति उसके क्या दायित्व हैं। इस प्रकार से यह विषय प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में सामाजिकता का बोध नागरिक को कराता है और उसमें सामाजिक चेतना की भावना का विकास होता है। इस विषय के द्वारा नागरिकों में प्रेम, त्याग, सहानुभूति, करुणा, दया, परोपकार, सेवा आदि गुणों को उत्पन्न किया जाता है।
;3. राजनैतिक चेतना के विकास हेतु आवश्यक है-
नागरिकशास्त्र व्यक्तियों में नागरिकता के गुणों को उत्पन्न करता है, साथ ही उसे इस बात की जानकारी कराता है कि नागरिक होने के नाते उसके क्या कर्तव्य एवं दायित्व हैं। वास्तव में यह विषय व्यक्तियों में नागरिक या राजनैतिक चेतना की भावना को उत्पन्न करता है। देश-प्रेम व देश के प्रति वफादारी का भाव भी यह विषय उत्पन्न करता है । जनसाधारण में राजनैतिक चेतना का विकास करने हेतु यह विषय बहुत ही जरूरी है।
;4. व्यक्तित्व के विकास हेतु आवश्यक है –
नागरिकशास्त्र व्यक्तियों के अन्तर्गत उचित नागरिक गुणों को उत्पन्न करता है। इस विषय के द्वारा व्यक्तियों के हृदय में संकीर्ण विचारधारा, जातिपाँत, अन्धविश्वास, सामाजिक कुरीतियों, धर्मवाद, भाषावाद, प्रान्तीयवाद आदि कुविचारों को दूर किया जाता है और उसमें उचित सामाजिक संवेगों, यथा-दया, दान, प्रेम, सहयोग, सहिष्णुता, सेवा, सहानुभूति आदि को जाग्रत किया जाता है जिससे उसके व्यक्तित्व का पूर्ण विकास हो सके।
;5. राष्ट्रीय प्रशासन का ज्ञान देने हेतु आवश्यक है-
नागरिकशा्त्र विषय क माध्यम हम छात्रो को स्थानीय स्वशासन,राजकीय शासन व केन्द्रीय शासन व्यवस्था का ज्ञान कराते हैं जिससे आज का छात्र इस बात का ज्ञान कर सके कि जिस देश का वह नागरिक है, वहाँ की
शासन व्यवस्था किस प्रकार की है और इनके प्रति उसका क्या दायित्व है । इसका ज्ञान कराने का एक प्रयोजन यह भी है कि नागरिकों को इस बात का जान हो सके कि इन वाभिन्न स्तरों का शासन व्यवस्था के मध्य समन्वय कैसे स्थापित किया जा सकता है।
;6. सम्यता व संस्कृति का ज्ञान कराने हेत आवश्यक है-
किसी भी देश का संस्कृति व सभ्यता को जानकारी भी नागरिकशास्त्र विषय के माध्यम से होती है समाज का सभ्यता व संस्कृति को जीवित रखने में यह विषय बहत ही अहम भूमिका का निर्वाह करता है। हमारे जीवन यापन के नियम व तौर-तरीके क्या हैं ? समाज के प्रमुख मानक कान से हैं? इनका ज्ञान भी इस विषय के माध्यम से होता है ।
;7.नेतृत्व के विकास हेतु आवश्यक है-
प्रजातन्त्र में हम सभी जानते हैं कि वर्तमान छात्र हो देश के भावी कर्णधार होंगे। अतः प्रारम्भ से ही छात्रों को इस दृष्टि से सक्षम बनाया जाना आवश्यक है कि वह आने वाले समय में देश का सफल नेतृत्व कर सके आर इस विषय का महत्त्व इसी कारण से है चूँकि यह नेतृत्व हेतु वांछनीय गुणों को विकसित करने के अवसर
छात्रो को प्रदान करता है। माध्यमिक शिक्षा आयोग के शब्दों में, “लोकतन्त्र तब तक सफलतापूर्वक कार्य नहीं कर सकता है जब तक कि उसके सभी सदस्य जनता के अधिकांश भाग को अपने उत्तरदायित्वों का निर्वाह करने हेतु सक्षम नहीं बनाते । जनता अपने दायित्वों का निर्वाह तभी कर सकती है जब उसे अनुशासन एव नेतृत्व करने की कला का भी प्रशिक्षण दिया जाये ।”
उपरोक्त सभी बातों से स्पष्ट होता है कि नागरिकशास्त्र विषय हमारे लिए बहुत ही उपयोगी है चूँकि जहाँ एक ओर यह व्यक्ति का सामाजिक व नागरिक दृष्टि से विकास करता है, वहीं यह उसे जीवन को इस योग्य बनाने में भी मदद देता है कि छात्र अपने जीवन की सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक समस्याओं का समाधान करें व वातावरण के साथ अनुकूलन स्थापित करें। वास्तव में नागरिकशास्त्र एक सामाजिक विधा है । यह व्यक्ति के चरित्र का विकास करती है और उसे आदर्श नागरिक बनने में सहयोग प्रदान करती है। यह विषय मानव समाज के कल्याण हेतु अति आवश्यक है ।
==इन्हें भी देखें==
[https://currentshub.com/%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A4%BE/ नागरिकशास्त्र की परिभाषाएँ]
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