"गवरी": अवतरणों में अंतर

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[[File:Gavari Bhanjara scene with gypsy trader being blocked by Meena bandits.jpg|thumb|गवरी]]
[[मेवाड़]] क्षेत्र में किया जाने वाला यह नृत्य [[भील]] जनजाति का प्रसिद्ध नृत्य है। इस नृत्य को [[श्रावण|सावन]]<nowiki/>-[[भाद्रपद|भादो]] माह में किया जाता है। इस में मांदल और थाली के प्रयोग के कारण इसे ' [[राई नृत्य|राई]] नृत्य' के नाम से जाना जाता है। इसे केवल पुरुषों के दुवारा किया जाता है।
वादन संवाद, प्रस्तुतिकरण और लोक-संस्कृति के प्रतीकों में [[मेवाड़]] की [[गवरी]] निराली है। गवरी का उदभव शिव-भस्मासुर की कथा से माना जाता है। इसका आयोजन रक्षाबंधन के दुसरे दिन से शुरू होता है। गवरी सवा महीने तक खेली जाती है। इसमें भील संस्कृति की प्रमुखता रहती है। यह पर्व आदिवासी जाती पर पौराणिक तथा सामाजिक प्रभाव की अभिव्यक्ति है। गवरी में मात्र पुरुष पात्र होते हैं। इसके खेलों में गणपति काना-गुजरी, जोगी, लाखा बणजारा ,नाथू भाया , कालु कीर , बरजू काजरी इत्यादि के खेल होते हैैं।
इसमें शिव को "पुरिया" कहा जाता है। yah 40 din tak chalne wala nratya ha .yah rajasthan ka sabse lamba chalne wala nrtya ha.
 
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"https://hi.wikipedia.org/wiki/गवरी" से प्राप्त