"दोहा": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति 11:
:मुरली वाले मोहना, मुरली नेक बजाय।
:तेरी मुरली मन हरे, घर अँगना न सुहाय॥
:बस ऊँचा पद है 'प्रखर', ऊँचे नहीं विचार ।
:ज्यों हाथी के पीठ पर, बंदर रहे सवार ।।
हेमचन्द्र के मतानुसार दोहा-छन्द के लक्षण हैं - समे द्वादश ओजे चतुर्दश दोहक:
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