"श्रीप्रकाश शुक्ल": अवतरणों में अंतर

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==जुर्म की दुनिया में प्रवेश==
१९९३ में शुक्ल ने राकेश तिवारी नाम के एक व्यक्ति की हत्या कर दी क्योंकि वह शुक्ल की बहन को देखकर सीटी मार रहा था। यह शुक्ल के द्वारा की गई पहली हत्या थी जिससे भयभीत होकर वह [[बैंकॉक]] भाग गया।
 
==वापसी और पेशेवर जुर्म की दुनिया में प्रवेश==
शुक्ल लौटकर [[मोकामा]], [[बिहार]] के गुंडे सूरज भान की गैंग का सदस्य बन गया।गया और बिहार की राजनीति में सक्रिय हो गया <ref name=Bedfellows/><ref name=Slinger/>
वह बिहार की राजनीति में सक्रिय हो गया <ref name=Bedfellows/><ref name=Slinger/>
 
==दहशत का माहौल==
किसीएक समय पर शुक्ल [[उत्तर प्रदेश]] और उत्तर [[बिहार]] का खतरनाक और बेरहम गैंगस्टर बन गया था पर किसी में उससे लड़ने का दम नहीं था।गया। वह राजनेताओं और व्यापारियों के लिए सरदर्द बन गया और पुलिस पर उसके खिलाफ़ कार्रावाहीकार्यवाही करने के लिए ज़ोर पड़ने लगा।
 
===प्रमुख राजनेता की हत्या===
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[[स्वामी सच्चिदानंद हरि साक्षी|साक्षी महाराज]], जो [[फ़र्रूख़ाबाद|फर्रुखाबाद]] के सांसद थे, यह दावा किए कि शुक्ल ने [[उत्तर प्रदेश]] के मुख्य मंत्री [[कल्याण सिंह]] की हत्या के लिए ६० मिलियन रुपिये की सुपारी ली है। परन्तु महाराज ने जानकारी के स्रोत या देने वाले का नाम नहीं बताया।<ref name=Bumped>{{cite news|title=Kalyan Singh's would-be assassin bumped off|url=http://m.rediff.com/%0D%0Anews/1998/sep/23up.htm|accessdate=23 मई 2015|work=[[रीडिफ.कॉम|रीडिफ]]|date=23 सितम्बर 1998|archive-url=https://web.archive.org/web/20150523170349/http://m.rediff.com/%0D%0Anews/1998/sep/23up.htm|archive-date=23 मई 2015|url-status=live}}</ref>
 
===बिहार के विधायक की हत्या===
बृज बिहारी प्रसाद की हत्या के थोड़े ही समय के बाद शुक्ल ने [[अजीत सरकार]] की कथित रूप से हत्या कर दी जो [[पुर्णियांपूर्णिया जिला|पूर्णियां]] के विधायक थे।<ref name="Bedfellows" />
 
===पुलिस टीम का गठन===