"बरेली का इतिहास": अवतरणों में अंतर

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वर्तमान बरेली क्षेत्र प्राचीन काल में [[पांचाल]] राज्य का हिस्सा था। [[महाभारत]] के अनुसार तत्कालीन राजा [[द्रुपद]] तथा [[द्रोणाचार्य]] के बीच हुए एक युद्ध में द्रुपद की हार हुयी, और फलस्वरूप पांचाल राज्य का दोनों के बीच विभाजन हुआ। इसके बाद यह क्षेत्र उत्तर पांचाल के अंतर्गत आया, जहाँ के राजा द्रोणाचार्य के पुत्र [[अश्वत्थामा]] मनोनीत हुये। अश्वत्थामा ने संभवतः हस्तिनापुर के शासकों के अधीनस्थ राज्य पर शासन किया। उत्तर पांचाल की तत्कालीन राजधानी, [[अहिच्छत्र]] के अवशेष [[बरेली जिला|बरेली जिले]] की [[आँवला (नगर)|आंवला तहसील]] में स्थित रामनगर के समीप पाए गए हैं। स्थानीय लोककथाओं के अनुसार [[गौतम बुद्ध]] ने एक बार अहिच्छत्र का दौरा किया था। यह भी कहा जाता है कि जैन तीर्थंकर [[पार्श्वनाथ]] को अहिच्छत्र में कैवल्य प्राप्त हुआ था।
 
[[चित्र:Coin-of-Achyuta.jpg|अंगूठाकार|[[अहिच्छत्र]] के अंतिम शासक अच्युत का सिक्का। सिक्के में आगे की ओर ८ आरों वाला पहिया, और पीछे की ओर राजा का नाम, अच्यु, लिखा दिख रहा है।]]
छठी शताब्दी ईसा पूर्व में, बरेली अब भी पांचाल क्षेत्र का ही हिस्सा था, जो कि भारत के सोलह [[महाजनपद|महाजनपदों]] में से एक था।<ref>Raychaudhuri, H.C. (1972). ''Political History of Ancient India'', Calcutta: University of Calcutta, p.85</ref> चौथी शताब्दी के मध्य में [[महापद्म नन्द]] के शासनकाल के दौरान पांचाल [[मगध साम्राज्य]] के अंतर्गत आया, तथा इस क्षेत्र पर [[नंद वंश|नन्द]] तथा [[मौर्य राजवंश|मौर्य]] राजवंश के राजाओं ने शासन किया।<ref>Raychaudhuri, H.C. (1972). ''Political History of Ancient India'', Calcutta: University of Calcutta, p.206</ref> क्षेत्र में मिले सिक्कों से मौर्यकाल के बाद के समय में यहाँ कुछ स्वतंत्र शासकों के अस्तित्व का भी पता चलता है।<ref>Lahiri, B. (1974). ''Indigenous States of Northern India (Circa 200 B.C. to 320 A.D.) '', Calcutta: University of Calcutta, pp.170-88</ref><ref>Bhandare, S. (2006). ''Numismatics and History: The Maurya-Gupta Interlude in the Gangetic Plain'' in P. Olivelle ed. ''Between the Empires: Society in India 300 BCE to 400 CE'', New York: Oxford University Press, {{ISBN|0-19-568935-6}}, pp.76,88</ref> क्षेत्र का अंतिम स्वतंत्र शासक शायद अच्युत था, जिसे [[समुद्रगुप्त]] ने पराजित किया था, जिसके बाद पांचाल को गुप्त साम्राज्य में शामिल कर लिया गया था।<ref>Raychaudhuri, H.C. (1972). ''Political History of Ancient India'', Calcutta: University of Calcutta, p.473</ref> छठी शताब्दी के उत्तरार्ध में [[गुप्त राजवंश]] के पतन के बाद इस क्षेत्र पर मौखरियों का प्रभुत्व रहा।