"हिन्दू देवी-देवता": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
2409:4043:89E:6017:F0E4:9CC2:A119:CD83 द्वारा किये 1 संपादन प्रत्यावर्तित किये जा रहे : कृपया अपना सोच विकिपीडिया के लेखों में न जोड़ें। (ट्वि॰) टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना |
Vishal10001 (वार्ता | योगदान) छोNo edit summary |
||
पंक्ति 4:
== परिचय ==
[[चित्र:Hindu deities montage.png|200px|thumb|हिन्दुओं के कुछ प्रमुख देव (ऊपर से) : [[ब्रह्मा]], [[सरस्वती]], [[लक्ष्मी]], [[विष्णु]], [[शिव]], [[दुर्गा]], [[हरिहर]], और [[अर्धनारीश्वर]]]][[वैदिक काल|वैदिक देवताओं]] का वर्गीकरण तीन कोटियों में किया गया है - पृथ्वीस्थानीय, अंतरिक्षस्थानीय और द्युस्थानीय। अग्नि, वायु और सूर्य क्रमश: इन तीन कोटियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन्हीं त्रिदेवों के आधार पर पहले 33 और बाद को 33 कोटि देवताओं की परिकल्पना की गई है। 33 देवताओं के नाम और रूप में ग्रंथभेद से बड़ा अंतर है। ‘[[शतपथ ब्राह्मण]]’ (4.5.7.2) में 33 देवताओं की सूची अपेक्षाकृत भिन्न है जिनमें 8 वसुओं, 11 रुद्रों, 12 आदित्यों के सिवा आकाश और पृथ्वी गिनाए गए हैं। 33 से अधिक देवताओं की कल्पना भी अति प्राचिन है। ऋग्वेद के दो मंत्रों में (3.9.9 ; 1.52.6)
वेदोत्तर काल में पौराणिक [[तंत्र साहित्य (भारतीय)|तांत्रिक साहित्य]] और धर्म तथा लोक धर्म का वैदिक देववाद पर इतना प्रभाव पड़ा कि वैदिक देवता परवर्ती काल में अपना स्वरूप और गुण छोड़कर लोकमानस मे सर्वथा भिन्न रूप में ही प्रतिष्ठापित हुए। परवर्ती काल में बहुत से वैदिक देवता गौण पद को प्राप्त हुए तथा नए देवस्वरूपों की कल्पनाएँ भी हुई। इस परिस्थिति से भारतीय देववाद का स्वरूप और महत्व अपेक्षाकृत अधिक व्यापक हो गया।
|