"मत्स्य अवतार": अवतरणों में अंतर

→‎कथा: जिस हयग्रीव का जिक्र है वह हयग्रीव भगवान विष्णु के अवतार से भिन्न है।
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जब ज्वार ब्रम्हांड को भस्म करने लगा तब एक विशाल नाव आया, जिस पर सभी चढ़े। मत्स्य भगवान ने उसे सर्पराज [[वासुकी|वासुकि]] को डोर बनाकर बाँध लिया और सुमेरु पर्वत की ओर प्रस्थान किया।
 
रास्ते में भगवान मत्स्य नारायण ने मनु (सत्यव्रत) को [[मत्स्य पुराण]] सुनाया और इस तरह प्रभु ने सबकी प्रलय से रक्षा की, तथा पौधों तथा जीवों की नस्लों को बचाया और मत्स्य पुराण की विद्या को नवयुग में प्रसारित किया।<ref>{{Cite web |url=http://theglobalviews.com/%E0%A4%AE%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A4%A5%E0%A4%BE/ |title=मत्स्यावतार की कथा |access-date=30 मई 2014 |archive-url=https://web.archive.org/web/20140531123821/http://theglobalviews.com/%E0%A4%AE%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A4%A5%E0%A4%BE/ |archive-date=31 मई 2014 |url-status=livedead }}</ref>
 
== इन्हें भी देखें ==