"जादू (भ्रमजाल/इंद्रजाल)": अवतरणों में अंतर

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अनंत काल से किया जाता रहा है। प्राचीन समय से विभिन्न धर्मों और संप्रदायों के प्रचारकों द्वारा इनका उपयोग अशिक्षित लोगों को डराकर आज्ञाकारी बनाने या उन्हें अपना अनुयायी बनाने के लिए किया जाता था। हालांकि, ऐंद्रजालिक के पेशे ने अठारहवीं शताब्दी में ही मजबूती प्राप्त की और तब से इसकी कई लोकप्रिय रीतियां प्रचलन में रही हैं।
 
1584 में, रेजिनोल्ड स्कॉट की ''द डिस्कवरी ऑफ विचक्राफ्ट'' (जादू टोनों की खोज) प्रकाशित हुई थी। इसे यह दिखाकर कि (प्रकटतः चमत्कारी) जादू के इन करतबों को कैसे किया जाता था, यह दिखाने के लिए लिखा गया था कि [[चुड़ैल|चुड़ैलों]] का अस्तित्व नहीं होता था।<ref>{{cite web |author=Name* |url=http://www.illusionist.co.uk/magician-blog/2010/05/10-facts-about-magicians/ |title=10 Facts About Magicians - Andi Gladwin – Close-Up Magician |publisher=Illusionist.co.uk |date= |accessdate=2 जनवरी 2011 |archive-url=https://web.archive.org/web/20101002040348/http://www.illusionist.co.uk/magician-blog/2010/05/10-facts-about-magicians |archive-date=2 अक्तूबर 2010 |url-status=livedead }}</ref> इस पुस्तक को अक्सर जादू पर पहली पाठ्यपुस्तक समझा जाता है। सभी प्राप्य प्रतियों को 1603 में जेम्स प्रथम के पदारोहण के समय जला दिया गया था और जो शेष बचीं वे अब दुर्लभ हैं। 1651 में फिर से इसका प्रकाशन आरंभ हुआ।
[[चित्र:roberthoudin.jpg|thumb|left|जीन यूजीन रॉबर्ट-हौडीन, प्रथम आधुनिक जादूगर]]