"कवि सम्मेलन": अवतरणों में अंतर

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== स्वरूप ==
कवि सम्मेलन के पारम्परिक रूप में अब तक बहुत अधिक बदलाव नहीं देखे गए हैं। एक पारम्परिक कवि सम्मेलन में अलग अलग रसों के कुछ कवि होते हैं और एक संचालक होता है। कवियों की कुल संख्या वैसे तो २० या ३० तक भी होती है, लेकिन साधरणत: एक कवि सम्मेलन में ७ से १२ तक कवि होते हैं। २००५ के आस पास से कवि सम्मेलन के ढांचे में कुछ बदलाव देख्ने को मिले। अब तो एकल कवि सम्मेलन भी आयोजित किए जाते हैं<ref>http://www.mbauniverse.com/article.php?id=2804</ref> (हालांकि उसे कवि-सम्मेलन कहना उचित नहीं है क्योंकि सम्मेलन बहुवचन में आता है, परन्तु अब ऐसे भी काव्य पाठ हो रहे हैं)। एक पारम्परिक कवि सम्मेलन में कवि मंच पर रखे गद्दे पर बैठते हैं। मंच पर दो माईकें होती हैं- एक वह, जिस पर खड़े हो कर कवि एक एक कर के कविता-पाठ करते हैं और दूसरा वो, जिसके सामने संचालक बैठा रहता है। संचालक सर्वप्रथम सभी कवियों का परिचय करवाता है और उसके बाद एक एक कर के उन्हें काव्य-पाठ के लिए आमंत्रित करता है। इसका क्रम साधारणतया कनिष्ठतम कवि से वरिष्ठतम कवि तक होता है।
 
== हिंदी के प्रमुख कवि ==
अशोक चक्रधर
 
सुरेंद्र शर्मा
 
अरुण जैमिनी
 
कुमार विश्वास
 
वेद प्रकश वेद
 
महेंद्र अजनबी
 
चिराग़ जैन
 
शम्भू शिखर
 
मनीषा शुक्ला
 
सरिता शर्मा
 
कीर्ति काले
 
माया गोविन्द
 
प्रभा ठाकुर
 
== सन्दर्भ ==