"संगीत": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Musiker-Nepal-01.JPG|thumb|right|[[नेपाल]] की नुक्कड़ संगीत-मण्डली द्वारा पारम्परिक संगीत]]
सुव्यवस्थित [[ध्वनि]], जो [[रस (काव्य शास्त्र)|रस]] की सृष्टि करे, '''संगीत''' कहलाती है। [[गायन]], [[वादन]] व [[नृत्य]] तीनों के समावेश को '''संगीत''' कहते हैं। संगीत नाम इन तीनों के एक साथ व्यवहार से पड़ा है। गाना, बजाना और नाचना प्रायः इतने पुराने है जितना पुराना आदमी है। बजाने और बाजे की कला आदमी ने कुछ बाद में खोजी-सीखी हो, पर गाने और नाचने का आरंभ तो न केवल हज़ारों बल्कि लाखों वर्ष पहले उसने कर लिया होगा,
गायन मानव के लिए प्राय: उतना ही स्वाभाविक है जितना भाषण। कब से मनुष्य ने गाना प्रारंभ किया, यह बतलाना उतना ही कठिन है जितना कि कब से उसने बोलना प्रारंभ किया है। परंतु बहुत काल बीत जाने के बाद उसके गायन ने व्यवस्थित रूप धारण किया।
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