"गोधरा काण्ड": अवतरणों में अंतर
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27 फ़रवरी 2002 को [[गुजरात]] में स्थित '''[[गोधरा]]''' शहर में एक कारसेवको से भरी रेलगाड़ी में मुस्लिम समुदाय द्वारा आग लगाने से 90 यात्री मारे गए जिनमें अधिकांश लोग [[हिन्दू]] बिरादरी से थे।<ref name="tribunal">{{cite web|title=Crimes against Humanity (3 volumes)|url=http://www.sabrang.com/tribunal/|website=www.sabrang.com|publisher=Official report on godhra riots by the Concerned Citizens Tribunal|accessdate=5 July 2017|archive-url=https://web.archive.org/web/20200115112215/https://www.sabrang.com/tribunal/|archive-date=15 जनवरी 2020|url-status=live}}</ref>{{sfn|The Times of India|2011}} इस घटना का इलज़ाम मुख्य रूप से मुस्लमानों पर लगाया गया जिसके नतीजा में गुजरात में [[2002 की गुजरात हिंसा|2002 के दंगे]] हुए।{{sfn|Ghassem-Fachandi|2012|p=283}}{{sfn|Jaffrelot|2003|p=16}} केन्द्रीय भारतीय सरकार द्वारा नियुक्त एक जाँच कमीशन का ख़्याल था कि आग दुर्घटना थी लेकिन आगे चलकर यह कमीशन असंवैधानिक घोषित किया गया था। 28 फरवरी 2002 तक, 71 लोग आगजनी, दंगा और लूटपाट के आरोप में गिरफ्तार किये गये थे। हमले के लीये कथित आयोजकों में से एक को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया गया। पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव, सोरीन रॉय ने कहा कि बंदी मुस्लिम कट्टरपंथी समूह हरकत-उल जेहाद-ए-इस्लामी, जिसने कथित तौर पर बांग्लादेश मे प्रवेश करने के लिए मदद की। 17 मार्च 2002, मुख्य संदिग्ध हाजी बिलाल जो एक स्थानीय नगर पार्षद और एक कांग्रेस कार्यकर्ता था,
हालांकि ग्यारह साल बाद भारत की एक अदालत ने मुसलमान बिरादरी के 31 लोगों को इस घटना के लिए दोषी ठहराया।{{sfn|Jeffery|2011|p=1988}}<ref name="Metcalf 2012">{{cite book|last=Metcalf|first=Barbara D.|title=A Concise History of Modern India|year=2012|publisher=Cambridge University Press|isbn=978-1107026490|page=280}}</ref>
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