"कुक्कुट पालन": अवतरणों में अंतर
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मुर्गियों मे होने वाली बीमारिया |
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== ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी पालन ==
ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे स्तर पर [[मुर्गी]] पालन से अतिरिक्त आय प्राप्त होती है साथ ही मुर्गी का मल (विष्ठा) का उपयोग बटन मशरूम उत्पादन हेतु [[कम्पोस्ट]] बनाने तथा खाद के रूप में खेतो में प्रयोग से फसल की उत्पादकता में बढ़ोत्तरी होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में [[केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, बरेली|केंद्रीय पक्षी अनुसन्धान संस्थान]], इज्ज़तनगर बरेली से विकसित उन्नत प्रजाति श्यामा, निर्भीक, उपकारी, तथा हितकारी का प्रयोग करें। इसके पालन में आने वाले व्यय की भरपाई पांचवे महीने में मुर्गा बेचकर हो जाती है। इसके उपरान्त मुर्गी से १२-१५ माह तक अंडा उत्पादन से अच्छी कमाई प्राप्त होती है। वर्मी कम्पोस्ट बनाते समय प्राप्त हुए अधिक केचुओं को मुर्गो हेतु खाने को देने से अधिक उत्पादन प्राप्त होता है। इसी प्रकार एजोला का भी उपयोग मुर्गों द्वारा किया जाता है। करीब ४० मुर्गियों के विष्ठा से उतना ही पोषक तत्त्व प्राप्त होता है जितना कि एक [[गाय]] के [[गोबर]] से प्राप्त होता है।
== मुर्गीयों मे होने वाली बीमारिया ==
* रानीखेत ( टुनकी )
* गम्बरों
* ओमफलाइटीस ( नाभि मे सूजन )
* सलमोनेला
* बूडर निमोनिया
* अफ्लाटॉक्सीन
* काक्सिडिओसीसः
== इन्हें भी देखें ==
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