"स्तनपान": अवतरणों में अंतर

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== स्तनपान के लाभ ==
[[File:HealthPhone-early-and-exclusive-breastfeeding-hindi-hd.webm|thumb|upright=1.3|शुरूआती एवं विशिष्ट स्तनपान का महत्त्व<ref>{{cite web|title=प्रथम दूध, सर्वश्रेष्ठ दूध - स्तनपान|url=http://www.healthphone.org/mchet/early-exclusive-breastfeeding.htm|website=हेल्थफोन|accessdate=5 जुलाई 2015|date=21 जून 2014|archive-url=https://web.archive.org/web/20150707064150/http://www.healthphone.org/mchet/early-exclusive-breastfeeding.htm|archive-date=7 जुलाई 2015|url-status=livedead}}</ref>]]
मां का दूध केवल पोषण ही नहीं, जीवन की धारा है। इससे मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। शिशु को पहले छह महीने तक केवल स्तनपान पर ही निर्भर रखना चाहिए। यह शिशु के जीवन के लिए जरूरी है, क्योंकि मां का दूध सुपाच्य होता है और इससे पेट की गड़बड़ियों की आशंका नहीं होती। मां का दूध शिशु की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक होता है। स्तनपान से दमा और कान की बीमारी पर नियंत्रण कायम होता है, क्योंकि मां का दूध शिशु की नाक और गले में प्रतिरोधी त्वचा बना देता है। कुछ शिशु को गाय के दूध से एलर्जी हो सकती है। इसके विपरीत मां का दूध शत-प्रतिशत सुरक्षित है। शोध से प्रमाणित हुआ है कि स्तनपान करनेवाले बच्चे बाद में मोटे नहीं होते। यह शायद इस वजह से होता है कि उन्हें शुरू से ही जरूरत से अधिक खाने की आदत नहीं पड़ती। स्तनपान से जीवन के बाद के चरणों में रक्त कैंसर, मधुमेह और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो जाता है। स्तनपान से शिशु की बौद्धिक क्षमता भी बढ़ती है। इसका कारण यह है कि स्तनपान करानेवाली मां और उसके शिशु के बीच भावनात्मक रिश्ता बहुत मजबूत होता है। इसके अलावा मां के दूध में कई प्रकार के प्राकृतिक रसायन भी मौजूद होते हैं।<ref name="गेटवे">[http://www.indg.in/health/child-health/93894d92492892a93e928 स्तनपान]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}। इंडिया डवलपमेंट गेटवे</ref>