"तेलुगू भाषा": अवतरणों में अंतर
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अधिकांश संस्कृत शब्दों से संकलित भाषा "आंध्र" भाषा के नाम से व्यवहृत होती है। तेलुगुदेशीय शब्दों का प्राचुर्य जिस भाषा में है वह तेलुगु भाषा के नाम से प्रख्यात है। तेलुगु भाषा के विकास के संबंध में विद्वानों के दो मत हैं। डा [[चिलुकूरि नारायण राव]] के मतानुसार तेलुगु भाषा द्राविड़ परिवार की नहीं है किंतु [[प्राकृत]]जन्य है और उसका संबंध विशेषत: पैशाची भाषा से है। इसके विपरीत बिशप कार्डवेल और कोराड रामकृष्णय्य आदि विद्वानों के मत से तेलुगु भाषा का संबंध द्राविड़ परिवार से ही है। जो हो, इस का विकास दोनों प्रकार की भाषाओं के सम्मेलन से हुआ है। आजकल उपर्युक्त तीन नामों से प्रचलित इस भाषा में लगभग 75 प्रतिशत [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] शब्दों का सम्मिश्रण है। इसकी मधुरता का मूल कारण संस्कृत तथा तेलुगु का (मणिकांचन) संयोग ही है। पश्चिम के विद्वानों ने भी तेलुगु को "पूर्व की इतालीय भाषा" कहकर इसके माधुर्य की सराहना की है।
== लता ==
{{मुख्य|तेलुगु लिपि}}
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