"कैलास पर्वत": अवतरणों में अंतर

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'''कैलाश पर्वत''' [[तिब्बत]] में स्थित एक पर्वत श्रेणी है। इसके पश्चिम तथा दक्षिण में [[मानसरोवर]] तथा [[राक्षसताल]] झील हैं। यहां से कई महत्वपूर्ण नदियां निकलतीं हैं - [[ब्रह्मपुत्र नदी|ब्रह्मपुत्र]], [[सिन्धु नदी|सिन्धु]], [[सतलुज नदी|सतलुज]] इत्यादि। [[हिन्दू धर्म|हिन्दू सनातन धर्म]] में इसे पवित्र माना गया है।
 
इस तीर्थ को '''अस्टापद''', '''गणपर्वत''' और '''रजतगिरि''' भी कहते हैं। कैलाश के बर्फ से आच्छादित 6,638 मीटर (21,778 फुट) ऊँचे शिखर और उससे लगे [[मानसरोवर]] का यह तीर्थ है। और इस प्रदेश को मानसखंड कहते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार [[ऋषभदेव|भगवान ऋषभदेव]] ने यहीं निर्वाण प्राप्त किया। श्री भरतेश्वर स्वामी मंगलेश्वर श्री ऋषभदेव भगवान के पुत्र भरत ने दिग्विजय के समय इसपर विजय प्राप्त की। [[पाण्डव|पांडवों]] के दिग्विजय प्रयास के समय [[अर्जुन]] ने इस प्रदेश पर विजय प्राप्त किया था। [[युधिष्ठिर]] के राजसूय यज्ञ में इस प्रदेश के राजा ने उत्तम घोड़े, सोना, रत्न और [[याक]] के पूँछ के बने काले और सफेद चामर भेंट किए थे। इनके अतिरिक्त अन्य अनेक ऋषि मुनियों के यहाँ निवास करने का उल्लेख प्राप्त होता है।<ref>{{Cite web|url=https://navbharattimes.indiatimes.com/astro/dharam-karam/religion-and-spiritualism/know-about-the-mystery-of-kailash-mountain-and-its-spiritual-and-scientific-importance-80130/|title=कैलास पर्वत के ये रहस्य, जानेंगे तो दंग रह जाएंगे|last=नवभारतटाइम्स.कॉम|date=2020-06-05|website=नवभारत टाइम्स|language=hi-IN|access-date=2020-08-28}}</ref>
 
[[जैन धर्म|जैन]] धर्म में इस स्थान का बहुत महत्व है। इसी पर्वत पर श्री भरत स्वामी ने रत्नों के 72 जिनालय बनवाये थे