"बहुमत की सरकार": अवतरणों में अंतर
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[[भारत का केन्द्रीय मंत्रिमण्डल]]]]
[[File:Indian General Election 2019 all parties.svg|thumb|400px|]]
किसी [[संसदीय प्रणाली|
बहुमत की सरकार के पास अपने प्रस्ताव पारित कराने के सबसे ज्यादा संभावनाएँ होती हैं, और इनके विधेयक कभी कभार ही सदन में हारते हैं।<ref>{{cite web|url=http://khabar.ibnlive.com/news/politics/260072.html|title=लगातार जीत से मोदी शक्तिमान बनने की राह पर|publisher=आईबीएन खबर|quote=पूर्ण बहुमत से ज्यादा सीटों के साथ बनी केंद्र सरकार भले ही गठबंधन की मजबूरियों को इतिहास बना चुकी हो लेकिन बात जब विवादित मुद्दों पर कानून बनाने या कड़े फैसलों को अमलीजामा पहनाने की आती है तो मोदी सरकार लाचार नजर आती है। वजह है लोकसभा में भारी भरकम बहुमत वाले एनडीए का राज्यसभा में अल्पमत में होना।|date=दिसम्बर 26, 2014|accessdate=दिसम्बर 23, 2015}}</ref> इसकी तुलना में एक अल्पमत की सरकार को अपने विधेयक पारित कराने और अपनी बात मनवाने के लिये लगातार साथी और विरोधी दलों से मोल-भाव करते रहना पड़ता है। ऐसे में भ्रष्टाचार की संभावनाएँ बलवती हो जाती हैं।
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