"उत्तराखण्ड": अवतरणों में अंतर

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'''उत्तराखण्ड''' (पूर्व नाम '''उत्तरांचल'''), [[उत्तर भारत]] में स्थित एक [[राज्य]] है जिसका निर्माण [[९ नवम्बर]] [[२०००]] को कई [[उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन|वर्षों के आन्दोलन]] के पश्चात<ref>[http://www.country-data.com/cgi-bin/query/r-6037.html उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20120510182134/http://www.country-data.com/cgi-bin/query/r-6037.html |date=10 मई 2012 }} {{अंग्रेज़ी चिह्न}}</ref> [[भारत]] गणराज्य के [[भारत के राज्यों की स्थापना तिथि अनुसार सूची|सत्ताइसवें]] [[भारत के राज्य|राज्य]] के रूप में किया गया था<ref>{{Cite web|url=https://uttarakhandkhoj.blogspot.com/2020/07/history-of-uttarakhand-in-hindi.html|title=उत्तराखंड का इतिहास और स्थापना - History of Uttarakhand in Hindi - उत्तराखंड एक खोज {{!}} उद्भव, इतिहास एवं संस्कृति|website=uttarakhandkhoj.blogspot.com|access-date=2020-08-01}}</ref>।था। सन [[२०००]] से [[२००६]] तक यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। [[जनवरी]] [[२००७]] में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया।<ref>[http://www.hisalu.com/13170 उत्तरांचल बना उत्तराखण्ड] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20141129194614/http://www.hisalu.com/13170 |date=29 नवंबर 2014 }} {{अंग्रेज़ी चिह्न}}</ref> राज्य की सीमाएँ उत्तर में [[तिब्बत]] और पूर्व में [[नेपाल]] से लगी हैं। पश्चिम में [[हिमाचल प्रदेश]] और दक्षिण में [[उत्तर प्रदेश]] इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। पारम्परिक [[हिन्दू धर्म ग्रंथ|हिन्दू ग्रन्थों]] और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। [[हिन्दी]] और [[संस्कृत]] में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। राज्य में [[हिन्दू धर्म]] की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों [[गंगा]] और [[यमुना]] के उद्गम स्थल क्रमशः [[गंगोत्री]] और [[यमुनोत्री]] तथा इनके तटों पर बसे [[वैदिक संस्कृति]] के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं।
 
[[देहरादून]], उत्तराखण्ड की अन्तरिम राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है। [[गैरसैण]] नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है।<ref>[http://www.nainitalsamachar.in/sachivalaya-at-gairsain-will-it-happen/ निशंक सरकार गैरसैंण में बनाएगी सचिवालय?] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20100708232037/http://www.nainitalsamachar.in/sachivalaya-at-gairsain-will-it-happen/ |date=8 जुलाई 2010 }} नैनीताल समाचार। अभिगमन तिथि: [[१९ जुलाई]] [[२०१०।]]</ref><ref>[http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/3825656.cms राजधानी बने तो कहां, गैरसैंण और देहरादून के बीच होड़] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20100715052859/http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/3825656.cms |date=15 जुलाई 2010 }} [[नवभारत टाइम्स]]। अभिगमन १९ जुलाई २०१०।</ref> राज्य का [[उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय|उच्च न्यायालय]] [[नैनीताल]] में है।
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== इतिहास ==
{{मुख्य|उत्तराखण्ड का इतिहास}} ''यह भी पढ़ें: [[उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन]], [[रामपुर तिराहा गोली काण्ड]], [[श्रीनगर, गढ़वाल का इतिहास]],उत्तराखण्ड में स्वाधीनता संग्राम''<ref>{{Cite web|url=https://uttarakhandkhoj.blogspot.com/2020/07/uttarakkhand-ka-itihas-aandolan-gathan-avm-pramukh-ghatna-kram.html|title=उत्तराखंड का इतिहास: आंदोलन, गठन एवं प्रुमख घटना क्रम - उत्तराखंड एक खोज {{!}} उद्भव, इतिहास एवं संस्कृति|website=uttarakhandkhoj.blogspot.com|access-date=2020-08-01}}</ref>
 
[[स्कन्द पुराण]] में [[हिमालय]] को पाँच भौगोलिक क्षेत्रों में विभक्त किया गया है:-
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मानस खण्ड का कुर्मांचल व [[कुमाऊँ]] नाम [[चन्द राजवंश|चन्द राजाओं]] के शासन काल में प्रचलित हुआ। कुर्मांचल पर चन्द राजाओं का शासन [[कत्यूरी राजवंश|कत्यूरियों]] के बाद प्रारम्भ होकर सन् [[१७९०]] तक रहा। सन् [[१७९०]] में [[नेपाल]] की गोरखा सेना ने कुमाऊँ पर आक्रमण कर कुमाऊँ राज्य को अपने आधीन कर लिया। गोरखाओं का कुमाऊँ पर सन् [[१७९०]] से [[१८१५]] तक शासन रहा। सन् १८१५ में अंग्रेंजो से अन्तिम बार परास्त होने के उपरान्त गोरखा सेना नेपाल वापस चली गयी किन्तु अंग्रेजों ने कुमाऊँ का शासन चन्द राजाओं को न देकर [[ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी|ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] के अधीन कर दिया। इस प्रकार कुमाऊँ पर अंग्रेजो का शासन [[१८१५]] से आरम्भ हुआ।
[[चित्र:United Provinces 1903.gif|thumb|right|200px|[[आगरा और अवध का संयुक्त प्रान्त|संयुक्त प्रान्त]] का भाग उत्तराखण्ड, १९०३]]
ऐतिहासिक विवरणों के अनुसार केदार खण्ड कई गढ़ों (किले) में विभक्त था। इन गढ़ों के अलग-अलग राजा थे जिनका अपना-अपना आधिपत्य क्षेत्र था। इतिहासकारों के अनुसार पँवार वंश के राजा ने इन गढ़ों को अपने अधीन कर एकीकृत गढ़वाल राज्य की स्थापना की और [[श्रीनगर, उत्तराखण्ड|श्रीनगर]] को अपनी राजधानी बनाया। केदार खण्ड का गढ़वाल नाम तभी प्रचलित हुआ। सन् [[१८०३]] में नेपाल की गोरखा सेना ने गढ़वाल राज्य पर आक्रमण कर अपने अधीन कर लिया। यह आक्रमण लोकजन में [[गोरखाली]] के नाम से प्रसिद्ध है। महाराजा गढ़वाल ने नेपाल की गोरखा सेना के अधिपत्य से राज्य को मुक्त कराने के लिए अंग्रेजों से सहायता मांगी। अंग्रेज़ सेना ने नेपाल की गोरखा सेना को देहरादून के समीप सन् १८१५ में अन्तिम रूप से परास्त कर दिया। किन्तु गढ़वाल के तत्कालीन महाराजा द्वारा युद्ध व्यय की निर्धारित धनराशि का भुगतान करने में असमर्थता व्यक्त करने के कारण अंग्रेजों ने सम्पूर्ण गढ़वाल राज्य राजा गढ़वाल को न सौंप कर [[अलकनन्दा]]-[[मन्दाकिनी नदी|मन्दाकिनी]] के पूर्व का भाग [[ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी|ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] के शासन में सम्मिलित कर गढ़वाल के महाराजा को केवल [[टिहरी जिला|टिहरी जिले]] (वर्तमान उत्तरकाशी सहित) का भू-भाग वापस किया। गढ़वाल के तत्कालीन महाराजा सुदर्शन शाह ने [[२८ दिसम्बर]] १८१५ को<ref>[http://jayuttarakhand.blogspot.com/2007_12_01_archive.html उत्तराखण्ड का इतिहास] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20110708044157/http://jayuttarakhand.blogspot.com/2007_12_01_archive.html |date=8 जुलाई 2011 }}। जय उत्तराखण्ड। १९ दिसम्बर २००७। उत्तराखण्डी</ref> टिहरी नाम के स्थान पर जो [[भागीरथी]] और भिलंगना नदियों के संगम पर छोटा-सा गाँव था, अपनी राजधानी स्थापित की।<ref name="घुघुती">[http://www.ghughuti.com/blog/view/id_757 उत्तराखण्ड का इतिहास एवं परिचय] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20170404221259/http://www.ghughuti.com/blog/view/id_757 |date=4 अप्रैल 2017 }}। घुघुती। २४ अगस्त २००८। धानसिंह</ref> कुछ वर्षों के उपरान्त उनके उत्तराधिकारी महाराजा नरेन्द्र शाह ने ओड़ाथली नामक स्थान पर [[नरेन्द्रनगर]] नाम से दूसरी राजधानी स्थापित की। सन् १८१५ से देहरादून व [[पौड़ी गढ़वाल]] (वर्तमान [[चमोली जिला]] और [[रुद्रप्रयाग जिला|रुद्रप्रयाग जिले]] का [[अगस्त्यमुनि, रुद्रप्रयाग|अगस्त्यमुनि]] व [[ऊखीमठ]] विकास खण्ड सहित) अंग्रेजों के अधीन व टिहरी गढ़वाल महाराजा टिहरी के अधीन हुआ।<ref name="अंकुर">[http://nationalnews1.blogspot.com/2009/12/blog-post.html कैसे बना उत्तरांचल राज्य] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20160305123034/http://nationalnews1.blogspot.com/2009/12/blog-post.html |date=5 मार्च 2016 }}। एनसीआर न्यूज़। ११ दिसम्बर २००९। अंकुर वत्स</ref><ref>[http://www.readers-cafe.net/uttaranchal/2006/02/22/history-of-tehri-garhwal/ टिहरी गढ़वाल का संक्षिप्‍त इतिहास] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20100718124313/http://www.readers-cafe.net/uttaranchal/2006/02/22/history-of-tehri-garhwal/ |date=18 जुलाई 2010 }}। उत्तरांचल-उत्तराखण्ड। २२ फ़रवरी २००६। तरुण।</ref><ref>[http://www.younguttarakhand.com/community/b10/t1744/ उत्तराखण्ड : कुछ तथ्य इतिहास के झरोखे से...] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20120418154931/http://www.younguttarakhand.com/community/b10/t1744/ |date=18 अप्रैल 2012 }}। यंगौत्तराखण्ड कम्युनिटी- ऑल अबाउट उत्तराखण्ड</ref>
 
भारतीय गणतन्त्र में टिहरी राज्य का विलय अगस्त [[१९४९]] में हुआ और टिहरी को तत्कालीन [[आगरा और अवध का संयुक्त प्रान्त|संयुक्त प्रान्त]] (उत्तर प्रदेश) का एक जिला घोषित किया गया। [[भारत-चीन युद्ध|१९६२ के भारत-चीन युद्ध]] की पृष्ठभूमि में सीमान्त क्षेत्रों के विकास की दृष्टि से सन् [[१९६०]] में तीन सीमान्त जिले [[उत्तरकाशी जिला|उत्तरकाशी]], [[चमोली जिला|चमोली]] व [[पिथौरागढ़ जिला|पिथौरागढ़]] का गठन किया गया। एक नये राज्य के रूप में उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन के फलस्वरुप (उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, २०००) उत्तराखण्ड की स्थापना [[९ नवम्बर]] २००० को हुई। अत: इस दिन को उत्तराखण्ड में स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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=== लोक कलाएँ ===
लोक कला की दृष्टि से उत्तराखण्ड बहुत समृद्ध है। घर की सजावट में ही लोक कला सबसे पहले देखने को मिलती है। दशहरा, दीपावली, नामकरण, जनेऊ आदि शुभ अवसरों पर महिलाएँ घर में ऐंपण (अल्पना) बनाती है। इसके लिए घर, ऑंगन या सीढ़ियों को गेरू से लीपा जाता है। चावल को भिगोकर उसे पीसा जाता है। उसके लेप से आकर्षक चित्र बनाए जाते हैं। विभिन्न अवसरों पर नामकरण चौकी, सूर्य चौकी, स्नान चौकी, जन्मदिन चौकी, यज्ञोपवीत चौकी, विवाह चौकी, धूमिलअर्ध्य चौकी, वर चौकी, आचार्य चौकी, अष्टदल कमल, स्वास्तिक पीठ, विष्णु पीठ, शिव पीठ, शिव शक्ति पीठ, सरस्वती पीठ आदि परम्परागत रूप से गाँव की महिलाएँ स्वयं बनाती है। इनका कहीं प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है। हरेले आदि पर्वों पर मिट्टी के डिकारे बनाए जाते है। ये डिकारे भगवान के प्रतीक माने जाते है। इनकी पूजा की जाती है। कुछ लोग मिट्टी की अच्छी-अच्छी मूर्तियाँ (डिकारे) बना लेते हैं। यहाँ के घरों को बनाते समय भी लोक कला प्रदर्षित होती है। पुराने समय के घरों के दरवाजों व खिड़कियों को लकड़ी की सजावट के साथ बनाया जाता रहा है। दरवाजों के चौखट पर देवी-देवताओं, हाथी, शेर, मोर आदि के चित्र नक्काशी करके बनाए जाते है। पुराने समय के बने घरों की छत पर चिड़ियों के घोंसलें बनाने के लिए भी स्थान छोड़ा जाता था। नक्काशी व चित्रकारी पारम्परिक रूप से आज भी होती है। इसमें समय काफी लगता है। वैश्वीकरण के दौर में आधुनिकता ने पुरानी कला को अलविदा कहना प्रारम्भ कर दिया। अल्मोड़ा सहित कई स्थानों में आज भी काष्ठ कला देखने को मिलती है। उत्तराखण्ड के प्राचीन मन्दिरों, नौलों में पत्थरों को तराश कर (काटकर) विभिन्न देवी-देवताओं के चित्र बनाए गए है। प्राचीन गुफाओं तथा उड्यारों में भी शैल चित्र देखने को मिलते हैं।<ref>[https://archive.is/20120712181334/newideass.blogspot.com/2010/07/blog-post_15.html हरेला: लाग हरिया्व, लाग दसैं, लाग बग्वाल, जी रये, जागि रये....]। न्यू-आइडियाज़। बृहस्पतिवार, १५ जुलाई २०१०</ref>
 
उत्तराखण्ड की लोक धुनें भी अन्य प्रदेशों से भिन्न है। यहाँ के बाद्य यन्त्रों में नगाड़ा, ढोल, दमुआ, रणसिंग, भेरी, हुड़का, बीन, डौंरा, कुरूली, अलगाजा प्रमुख है। ढोल-दमुआ तथा [[बैगपाइप|बीन बाजा]] विशिष्ट वाद्ययन्त्र हैं जिनका प्रयोग आमतौर पर हर आयोजन में किया जाता है। यहाँ के लोक गीतों में न्योली, जोड़, झोड़ा, छपेली, बैर व फाग प्रमुख होते हैं। इन गीतों की रचना आम जनता द्वारा की जाती है। इसलिए इनका कोई एक लेखक नहीं होता है। यहां प्रचलित लोक कथाएँ भी स्थानीय परिवेश पर आधारित है। लोक कथाओं में लोक विश्वासों का चित्रण, लोक जीवन के दुःख दर्द का समावेश होता है। भारतीय साहित्य में लोक साहित्य सर्वमान्य है। लोक साहित्य मौखिक साहित्य होता है। इस प्रकार का मौखिक साहित्य उत्तराखण्ड में लोक गाथा के रूप में काफी है। प्राचीन समय में मनोरंजन के साधन नहीं थे। लोकगायक रात भर ग्रामवासियों को लोक गाथाएं सुनाते थे। इसमें मालसाई, रमैल, जागर आदि प्रचलित है। अभी गाँवों में रात्रि में लगने वाले जागर में लोक गाथाएं सुनने को मिलती है। यहां के लोक साहित्य में लोकोक्तियाँ, मुहावरे तथा पहेलियाँ (आंण) आज भी प्रचलन में है। उत्तराखण्ड का छोलिया नृत्य काफी प्रसिद्ध है। इस नृत्य में नृतक लबी-लम्बी तलवारें व गेण्डे की खाल से बनी ढाल लिए युद्ध करते है। यह युद्ध नगाड़े की चोट व रणसिंह के साथ होता है। इससे लगता है यह राजाओं के ऐतिहासिक युद्ध का प्रतीक है। कुछ क्षेत्रों में छोलिया नृत्य ढोल के साथ शृंगारिक रूप से होता है। छोलिया नृत्य में पुरूष भागीदारी होती है। कुमाऊँ तथा गढ़वाल में झुमैला तथा झोड़ा नृत्य होता है। झौड़ा नृत्य में महिलाएँ व पुरूष बहुत बड़े समूह में गोल घेरे में हाथ पकड़कर गाते हुए नृत्य करते है। विभिन्न अंचलों में झोड़ें में लय व ताल में अन्तर देखने को मिलता है। नृत्यों में सर्प नृत्य, पाण्डव नृत्य, जौनसारी, चाँचरी भी प्रमुख है।<ref>[http://tdil.mit.gov.in/coilnet/ignca/st_ut01.htm उतरांचल राज्य : एक परिचय] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20101021084948/http://tdil.mit.gov.in/CoilNet/IGNCA/st_ut01.htm |date=21 अक्तूबर 2010 }} - डिकारे। डॉ॰ कैलाश कुमार मिश्र।</ref>
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* [https://web.archive.org/web/20100126033406/http://apnauttarakhand.com/ अपनाउत्तराखण्ड.कॉम]
* [https://www.studyfry.com/uttarakhand-study-material-hindi उत्तराखण्ड से सम्बन्धित शैक्षिक सामग्री (study material)]
* [https://web.archive.org/web/20080515004843/http://kandpalsubhash.blogspot.com/2007/10/blog-post_21.html उत्तराखण्ड राज्य का परिचय]
* [https://web.archive.org/web/20080523213301/http://kandpalsubhash.blogspot.com/2007/10/blog-post_19.html उत्तराखण्ड: कुछ तथ्य इतिहास के झरोखे से]
* [https://web.archive.org/web/20160305125046/http://theuttarakhand.blogspot.com/2009/02/blog-post_20.html इतिहास के पन्नों में उत्तराखण्ड]
* [https://web.archive.org/web/20100728063147/http://www.merapahadforum.com/uttarakhand-history-and-peoples-movement/milestones-of-indian-independence/ भारतीय स्वतन्त्रता-संग्राम और उत्तराखण्ड]