"भक्ति काल": अवतरणों में अंतर

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== ज्ञानाश्रयी मार्गी ==
[[File:Kabir004.jpg|thumb|कबीरदास]]
इस शाखा के भक्त-कवि निर्गुणवादी थे और राम की उपासना करते थे। वे गुरु को बहुत सम्मान देते थे तथा जाति-पाँति के भेदों को अस्वीकार करते थे। वैयक्तिक साधना पर वे बल देते थे। मिथ्या आडंबरों और रूढियों का वे विरोध करते थे। लगभग सब संत अपढ़ थे परंतु अनुभव की दृष्टि से समृध्द थे। प्रायः सब सत्संगी थे और उनकी भाषा में कई बोलियों का मिश्रण पाया जाता है इसलिए इस भाषा को 'सधुक्कड़ी' कहा गया है। साधारण जनता पर इन संतों की वाणी का ज़बरदस्त प्रभाव पड़ा है। इन संतों में प्रमुख [[कबीर]]दास थे। अन्य मुख्य संत-कवियों के नाम हैं - [[गुरु नानक|नानक]], [[रविदास|रैदास]], [[दादूदयाल]], [[सुंदरदास]] तथा [[मलूकदास]]।