"गुरबचन सिंह सलारिया": अवतरणों में अंतर

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'''कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया''' [[परमवीर चक्र]] (29 नवंबर 1935 - 5 दिसंबर 1961) एक भारतीय सैन्य अधिकारी और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान के सदस्य थे। वह परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले एकमात्र संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक हैं<ref name="aajtak.intoday.in 2017">{{cite web | title=अफ्रीकी देश में शांति के लिए शहीद हो गए थे गुरबचन सिंह | website=aajtak.intoday.in | date=२९ अक्टूबर २०१७ | url=https://aajtak.intoday.in/education/story/know-about-gurbachan-singh-on-his-birth-anniveresry-tedu-1-961059.html | language=hi | accessdate=४ अप्रैल २०१८ | archive-url=https://web.archive.org/web/20180405024447/https://aajtak.intoday.in/education/story/know-about-gurbachan-singh-on-his-birth-anniveresry-tedu-1-961059.html | archive-date=5 अप्रैल 2018 | url-status=live }}</ref>। वह किंग जॉर्ज के [[भारतीय राष्ट्रीय मिलिट्री कालेज|रॉयल मिलिट्री कॉलेज]] और [[राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (भारत)|राष्ट्रीय रक्षा अकादमी]] के पूर्व छात्र थे।
इन्हें यह सम्मान सन [[१९६२|1962]] में मरणोपरांत मिला।<ref>{{Cite web |url=http://www.gallantryawards.gov.in/Awardee/gurbachan-singh-salaria |title=संग्रहीत प्रति |access-date=1 अप्रैल 2018 |archive-url=https://web.archive.org/web/20180401220245/http://www.gallantryawards.gov.in/Awardee/gurbachan-singh-salaria |archive-date=1 अप्रैल 2018 |url-status=livedead }}</ref>
 
दिसंबर 1961 में कांगो में [[संयुक्त राष्ट्र शांतिस्थापन|संयुक्त राष्ट्र के ऑपरेशन]] के तहत कांगो गणराज्य में तैनात भारतीय सैनिकों में सलारिया भी शामिल थे। 5 दिसंबर को सलारिया की बटालियन को दो बख्तरबंद कारों पर सवार [[कातांगा प्रान्त|पृथकतावादी राज्य कातांगा]] के 150 सशस्त्र पृथकतावादियों द्वारा एलिज़ाबेविले हवाई अड्डे के मार्ग के अवरुद्धीकरण को हटाने का कार्य सौंपा गया। उनकी रॉकेट लांचर टीम ने कातांगा की बख्तरबंद कारों पर हमला किया और नष्ट कर दिया। इस अप्रत्याशित कदम ने सशस्त्र पृथकतावादियों को भ्रमित कर दिया, और सलारिया ने महसूस किया कि इससे पहले कि वे पुनर्गठित हो जाएं, उन पर हमला करना सबसे अच्छा होगा। हालांकि उनकी सेना की स्थिति अच्छी नहीं थी फिर भी उन्होंने पृथकतावादियों पर हमला करवा दिया और 40 लोगों को कुकरियों से हमले में मार गिराया। हमले के दौरान सलारिया को गले में दो बार गोली मार दी और वह वीर गति को प्राप्त हो गए। बाकी बचे पृथकतावादी अपने घायल और मरे हुए साथियों को छोड़ कर भाग खड़े हुए और इस प्रकार मार्ग अवरुद्धीकरण को साफ़ कर दिया गया। अपने कर्तव्य और साहस के लिए और युद्ध के दौरान अपनी सुरक्षा की उपेक्षा करते हुए कर्तव्य करने के कारण सलारिया को भारत सरकार द्वारा वर्ष 1962 में मरणोपरांत [[परमवीर चक्र|परम वीर चक्र]] से सम्मानित किया गया।