"परमर्दिदेव": अवतरणों में अंतर

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[[File:Entrance gate of Kalinjar fort.jpg|thumb|Entrance gate of Kalinjar fort]]
'''परमर्दिदेव''' (शासनकाल ११६५--१२०३) सल्तनतकालीनराजपूतकालीन भारत में [[महोबा]] तथा [[कालिंजर]] के शासक थे। इन्हें राजा [[परमाल]] भी कहा जाता है। [[जगनिक]] इन्हीं के दरबारी कवि थे जिन्होंने [[परमाल रासो]] की रचना की थी। परमाल रासो में राजा परमाल के यश और वीरता का वर्णन वीरगाथात्मक रासो काव्य शैली में किया गया है। वर्तमान समय में इसके उपलब्ध हिस्से '[[आल्ह खंड]]' में राजा परमाल के ही दो दरवारी वीरों की वीरता का वर्णन मिलता है। इसमें परमाल की पुत्री चंद्रावती का भी उल्लेख मिलता है।
 
== परिचय ==