"प्राणायाम": अवतरणों में अंतर

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[[सुखासन]], [[सिद्धासन]], [[पद्मासन]], या [[वज्रासन]] में बैठें। शुरुआत और अन्त हमेशां बाँये नथुने (नोस्टिरल) से ही करनी है, नाक का दाँया नथुना बंद करें व बाँये से लंबी साँस लें, फिर बाँये को बंद करके, दाँये वाले से लंबी साँस छोडे़ं...अब दाँये से लंबी साँस लें और बाँयें वाले से छोडे़ं...यानि यह दाँया-दाँया बाँया-बाँया यह क्रम रखना, यह प्रक्रिया १०-१५ मिनट तक दुहराएं| साँस लेते समय अपना ध्यान दोंनों आँखों के बीच में स्थित आज्ञा चक्र पर ध्यान एकत्रित करना चाहिए। और मन ही मन में साँस लेते समय ॐ-ॐ का जाप करते रहना चाहिए। हमारे शरीर की ७२,७२,१०,२१० सुक्ष्मादी सूक्ष्म नाड़ी शुद्ध हो जाती हैं। बाँयी नाड़ी को चन्द्र (इडा, गन्गा) नाडी, और दायीं नाडी को सूर्य (पीन्गला, यमुना) नाड़ी कहते हैं। चन्द्र नाडी से ठण्डी हवा अन्दर जाती है और सूर्य नाड़ी से गरम हवा अन्दर जाती है। ठण्डी और गरम हवा के उपयोग से हमारे शरीर का तापमान संतुलित रहता है। इससे हमारी रोग-प्रतिकारक शक्ति बढ़ जाती है।
 
=== लाभ ===निम्न प्रकार है
* हमारे शरीर की ७२,७२,१०,२१० सुक्ष्मादी सूक्ष्म नाड़ी शुद्ध हो जाती है।
* हार्ट की ब्लाॅकेज खुल जाते है।