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मधु पौर्णिमा कहा जाता हे!{{स्रोतहीन|date=नवम्बर 2012}} ▼
भाद्रपद पौर्णिमा (मधु पौर्णिमा,उपोसथ व्रत पौर्णिमा,बिनारा पौर्णिमा ):
१. उस युग में जब स्त्री और शुद्रो को धर्म के पंडितोंने मानसिक और शारीरिक गुलाम बना रखा था,
तब भगवान बुद्ध का ही सहारा था: "आध्यात्मिक ज्ञान के उच्चतम स्तर तक पहुंचने में स्त्री उतनी ही सक्षम हैं जितना कि पुरुष।"
यह जग को कहकर भाद्रपद पौर्णिमा के मंगलदिन भगवान बुद्ध ने प्रथम महिला भीकुनि माता महाप्रजापति को दीक्षा दी थी
भिक्खुनी संघ की स्थापना की,तब स्त्री को सूद्र माना जाता उस दौर की यह सबसे बड़ी क्रांति थी.
२. भाद्रपद पौर्णिमा मन के मल को साफ करने का दिन हे. आज का दिन उपोसथ दिवस के तौर पर अनेक देशो में मनाया जाता हे
अष्टशील ग्रहण कर,दस पारमितिओ का पालन,विपश्यना,अल्प आहार, धम्म पालन उपासक और उपासिका धम्म
विहार में जाकर भिखु संघ को शहद का दान करते हे.
३. इसी मंगल पौर्णिमा दिन जंगल में भगवान बुद्ध को बंदर और पर्लियक्क नामक हाथी ने शहद का दान किया था. इसीलिए इस पौर्णिमा को
▲मधु पौर्णिमा कहा जाता हे!{{स्रोतहीन|date=नवम्बर 2012}}
{{मास}}
भारतीय काल गणना के अनुसार साल का छटवा माह जो अगस्त के महीने में पड़ता है। इस समय भारत में वर्षा की ऋतु होती है।
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