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'''राजीव गांधी''' ({{lang-en|Rajiv Gandhi}}) [[20 अगस्त]], [[1944]] - [[21 मई]], [[1991]]), [[इन्दिरा गांधी]] के पुत्र और [[जवाहरलाल नेहरू]] के दौहित्र (नाती), [[भारत]] के छठेनौवें प्रधान मंत्री थे।<br/>राजीवभारत कामें विवाहसूचना एन्टोनियाक्रांति माईनोके सेजनक हुआके जोरूप उस समय [[इटली]] की नागरिक थी। विवाहोपरान्त उनकी पत्नी ने नाम बदलकर [[सोनिया गांधी]] कर लिया।में कहादेखा जाता है कि।भारत राजीवमें गांधीदल सेबदल उनकीविरोधी मुलाकातकानून तब, हुईइग्नू जब, राजीवजवाहर कैम्ब्रिजनवोदय में,जवाहर पढनेरोजगार गयेयोजनाा थे।जैसे उनकीशैक्षिक शादीऔर 1968रोजगार मेंपरक हुईकार्यों जिसकेके बादसाथ-साथ वेसुपर भारतकंप्यूटर मेंपरम रहने10,000 लगी।और राजीवएमटीएनएल बीएसएनल सोनियाजैसी की दो बच्चे हैं, पुत्र [[राहुल गांधी]]कंपनियों का जन्मनिर्माण [[1970]]कर औरके पुत्रीभारत [[को प्रियंकाअग्रणी गांधीबनाने ]]सफल का जन्म [[1972]] मेंयोगदान हुआ।दिया।
 
वह भारत केेेेेे सबसे लोकप्रिय प्रधानमन्त्री थे।
 
उनकी प्रारंभिक शिक्षा दून के कॉलेज से हुई और वे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से स्नातक करके स्वदेश लौटे।
 
सन 1968 में उन्होंने सोनिया गांधी जी से विवाह किया। उनके के दो बच्चे हैं, पुत्र [[राहुल गांधी]] का जन्म [[1970]] और पुत्री [[ प्रियंका गांधी]] का जन्म [[1972]] में हुआ।
 
'''एयर इंडिया के साथ की करियर की शुरुआत'''
 
प्रधानमंत्री के तौर पर देश की सेवा करने वाले राजीव गांधी, नेहरू-गांधी परिवार के आखिरी सदस्य थे जो राजनीति में इतने शीर्ष तक पहुंचे। राजनीति में आने से पहले वे पेशे से पायलट थे। राजीव को अपने नाना और मां की तरह राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी। उन्होंने पायलट बनने से पहले इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने की भी बहुत कोशिश की थी, लेकिन किताबी ज्ञान में सीमित हो जाना उन्हें रास नहीं आया। लंदन में पढ़ाई करने के बाद वे कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज गए। वहां तीन साल पढ़ने के बाद भी उन्हें डिग्री नहीं मिली, फिर उन्होंने लंदन के ही इंपीरियल कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया, लेकिन उसमें भी उनका मन नहीं लगा। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के फ्लाइंग कल्ब में पायलट की ट्रेनिंग शुरू की और 1970 में एयर इंडिया के साथ अपने करियर की शुरुआत की।
 
'''फोटोग्राफी के शौकीन थे राजीव गांधी'''
 
बहुत कम लोग यह जानते हैं कि राजीव गांधी पायलट के साथ ही फोटोग्राफी के भी बेहद शौकीन थे। उनके इस शौक के बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं थी। उनकी तस्वीरों को छापने के लिए कई पब्लिशरों ने भी मशक्कत की थी, लेकिन उन्होंने कभी अनुमति नहीं दी। उनके निधन के बाद जब सोनिया गांधी ने राजीव गांधी द्वारा खींची गई तस्वीरों के संग्रह को किताब का रूप दिया तब जाकर दुनिया के सामने इस बात का खुलासा हुआ। उस किताब का नाम है 'राजीव्स वर्ल्ड- फोटोग्राफ्स बाय राजीव गांधी'।
 
'''कम उम्र में राजनीति की ऊंचाई पर पहुंचे'''
 
1980 के दशक में जब उन्होंने राजनीति में कदम रखा था तो उनकी छवि मिस्टर क्लीन की थी। शुरुआत से ही विदेश में रह कर पढ़ाई करने और 40 वर्ष से भी कम उम्र में राष्ट्रीय राजनीति में इतनी ऊंचाई तक पहुंचने के कारण राजीव लोकप्रिय भी थे और बेदाग भी। हालांकि भविष्य में कई बड़े-बड़े घोटालों में नाम आने के बाद उनकी यह छवि धूमिल हो गई।
 
'''चुनावी रैलियों में खुद अपनी गाड़ी चलाकर पहुंच जाते थे'''
 
राजीव गांधी संभवत: देश के इकलौते ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जो कई बार खुद ही अपनी गाड़ी चला कर जगह-जगह जाते थे। कई बार तो राजीव गांधी चुनावी रैलियों में भी खुद ही अपनी कार चला कर पहुंच जाते थे। सुरक्षा गार्डों को तेजी से उनके पीछे चलते रहना पड़ता था।
 
'''संजय गांधी के निधन के बाद राजनीति में आने का मन बनाया'''
 
विमान दुर्घटना में संजय गांधी की असामयिक मौत के बाद कई लोग इंदिरा गांधी और राजीव गांधी से मिलने आ रहे थे। कहा जाता है कि इसी दौरान बद्रीनाथ के जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद जी ने इंदिरा गांधी को सावधान करते हुए कहा था कि अब राजीव को ज्यादा समय तक विमान नहीं उड़ाना चाहिए। इस पर इंदिरा गांधी ने आय की बात कही तो स्वामी जी ने उन्हें सलाह दी कि राजीव को अब राष्ट्र की सेवा में लग जाना चाहिए। इसी के बाद उन्होंने राजनीति में आने का मन बना लिया
 
== राजनीतिक जीवन ==