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[[Image:Bankim chandra chatterjee.jpg|right|thumb|200px|भारत के राष्ट्र गीत के रचयिता '''[[बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय|बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय]]''']]
'''भारतीय साहित्य''' से तात्पर्य सन् १९४७ के पहले तक [[भारतीय उपमहाद्वीप]] एवं तत्पश्चात् [[भारत|भारत गणराज्य]] में निर्मित वाचिक और लिखित [[साहित्य]] से है। दुनियाविश्व मेंका सबसे पुराना [[वाचिक साहित्य]] आदिवासी भाषाओं में मिलता है। इस दृष्टि से [https://web.archive.org/web/20150403094041/https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%86%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%80_%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF [आदिवासी साहित्य]] सभी साहित्य का मूल स्रोत है।

भारतीय गणराज्य में 22 आधिकारिक मान्यता प्राप्त [[भारत की भाषाएँ|भाषाएँ]] है। जिनमें मात्र 2 आदिवासी भाषाओं - संथाली और बोड़ो - को ही शामिल किया गया है। वर्तमान समय में भारत में मुख्यतः दो साहित्यिक पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं, [[साहित्य अकादमी पुरस्कार]] तथा [[ज्ञानपीठ पुरस्कार]]। [[हिन्दी]] तथा [[कन्नड़ भाषा|कन्नड]] भाषाओं को आठ-आठ ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किए गये हैं। [[बाङ्ला भाषा|बांग्ला]] और [[मलयालम भाषा|मलयालम]] को पाँच-पाँच, [[ओड़िया भाषा|उड़िया]] को चार; [[गुजराती भाषा|गुजराती]], [[मराठी भाषा|मराठी]], [[तेलुगू भाषा|तेलुगु]] और [[उर्दू भाषा|उर्दू]] को तीन-तीन, तथा [[असमिया भाषा|असमिया]], [[तमिल]] को दो-दो और [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] को एक ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया है।<ref>[http://jnanpith.net/ {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20070529142823/http://www.jnanpith.net/ |date=29 मई 2007 }} भारतीय ज्ञानपीठ का आधिकारिक जालस्थल</ref><ref>[https://archive.is/20121205234801/http://www1.timesofindia.indiatimes.com/Delhi/Kunwar_Narayan_to_be_awarded_Jnanpith/articleshow/3752703.cms "कुंवर नारायण को ज्ञानपीठ पुरस्कार". Times of India. 24 November 2008. Archived from the original on 5 December 2012. Retrieved 25 November 2008। ]</ref>
 
== भूमिका ==
[[चित्र:Gosvami Tulsidas II.jpg|right|thumb|300px200px|[[तुलसीदास|गोस्वामी तुलसीदास]] द्वारा रचित [[श्रीरामचरितमानस|रामचरितमानस]] भारतीय साहित्य की अमूल्य निधि है।]]
[[भारत]]वर्ष अनेक [[भाषा]]ओं का विशाल देश है - उत्तर-पश्चिम में [[पंजाबी]], [[हिन्दी]] और [[उर्दू भाषा|उर्दू]]; पूर्व में [[ओड़िया भाषा|उड़िया]], बंगाल में [[असमिया भाषा|असमिया]]; मध्य-पश्चिम में [[मराठी भाषा|मराठी]] और [[गुजराती भाषा|गुजराती]] और दक्षिण में [[तमिल]], [[तेलुगू भाषा|तेलुगु]], [[कन्नड़ भाषा|कन्नड]] और [[मलयालम भाषा|मलयालम]]। इनके अतिरिक्त कतिपय और भी भाषाएं हैं जिनका साहित्यिक एवं भाषावैज्ञानिक महत्त्व कम नहीं है- जैसे [[कश्मीरी]], [[डोगरी भाषा|डोगरी]], [[सिंधी]], [[कोंकणी भाषा|कोंकणी]], [[तुलू भाषा|तुलू]] आदि। इनमें से प्रत्येक का, विशेषतः पहली बारह भाषाओं में से प्रत्येक का, अपना साहित्य है जो प्राचीनता, वैविध्य, गुण और परिमाण- सभी की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है। यदि आधुनिक भारतीय भाषाओं के ही सम्पूर्ण वाङ्मय का संचयन किया जाये तो वह [[यूरोप]] के संकलित वाङ्मय से किसी भी दृष्टि से कम नहीं होगा। वैदिक संस्कृत, [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]], [[पालि भाषा|पालि]], [[प्राकृत|प्राकृतों]] और [[अपभ्रंश|अपभ्रंशों]] का समावेश कर लेने पर तो उसका अनन्त विस्तार कल्पना की सीमा को पार कर जाता है- ज्ञान का अपार भंडार, [[हिन्द महासागर|हिंद महासागर]] से भी गहरा, भारत के भौगोलिक विस्तार से भी व्यापक, [[हिमालय]] के शिखरों से भी ऊँचा और [[ब्रह्म]] की कल्पना से भी अधिक सूक्ष्म।