"तत्त्वार्थ सूत्र": अवतरणों में अंतर

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*"सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्ग:" (१-१): यह तत्त्वार्थसूत्र का पहला सूत्र है है। इसका अर्थ है- सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चरित्र तीनों मिलकर मोक्ष का मार्ग हैं।
 
*"परस्परोपग्रहो जीवानाम् (५.२१): यह सूत्र जैन धर्म का आदर्श-वाक्य है। यह [[जैन प्रतीक चिन्ह]] के अंतअन्त में लिखा जाता है। इसका अर्थ है, आपस में एक-दूसरे का उपकार करना जीवों का कर्तव्य है या धर्म है।
 
==सन्दर्भ==