"वसुधैव कुटुम्बकम्": अवतरणों में अंतर

यह श्लोक अध्याय ४ में नहीं अपितु अध्याय ६ में है। महोपनिषद से जांच करने पर पता चला।
टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
अयं बन्धुरयं नेति गणना लघुचेतसाम्उ ।उदारचरितानांतु वसुधैव कुटुम्बकम्। यहां सही श्लोक है।
टैग: Reverted यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 2:
'''वसुधैव कुटुम्बकम्''' [[सनातन धर्म]] का मूल संस्कार तथा विचारधारा है<ref>https://sa.wikisource.org/s/kty</ref> जो [[महा उपनिषद]] सहित कई ग्रन्थों में लिपिबद्ध है। इसका अर्थ है- धरती ही परिवार है (''वसुधा एव कुटुम्बकम्'')। यह वाक्य [[भारतीय संसद]] के प्रवेश कक्ष में भी अंकित है।
 
: ''अयं निजः परो वेति  बन्धुरयं नेति गणना लघुचेतसाम् । लघुचेतसाम्।''
: '' उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥'' (महोपनिषद्, अध्याय ६, श्‍लोक ७१)
: ''अर्थ - यह अपना बन्धु है और यह अपना बन्धु नहीं है, इस तरह की गणना छोटे चित्त वाले लोग करते हैं। उदार हृदय वाले लोगों की तो (सम्पूर्ण) धरती ही परिवार है।