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{{!}} style="border-top:2px dotted #dcdcdc;" bgcolor=#F4F4F4 width=100px {{!}} '''[[भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश|राज्य और संघ शासित क्षेत्र]]'''
{{!}} style="border-top:2px dotted #dcdcdc;" {{!}}[[जम्मू और कश्मीर|जम्मू एवं कश्मीर]], [[हिमाचल प्रदेश]], [[उत्तराखण्ड|उत्तराखंड]], [[हरियाणा]], [[पंजाब (भारत)|पंजाब]], [[राजस्थान]], [[उत्तर प्रदेश]], [[मध्य प्रदेश]], [[बिहार]], [[छत्तीसगढ़]] तथा [[झारखंडमध्य प्रदेश]]
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{{!}} bgcolor=#f4f4f4 {{!}} '''सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहर''' (२००८)
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{{!}} style="border-top:2px dotted #dcdcdc;" {{!}}504,196,432
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'''उत्तरी भारत''' में अनेक भौगोलिक क्षेत्र आते हैं। इसमें मैदान, पर्वत, मरुस्थल आदि सभी मिलते हैं। यह [[भारत]] का उत्तरी क्षेत्र है। प्रधान भौगोलिक अंगों में [[सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान|गंगा के मैदान]] और [[हिमालय|हिमालय पर्वतमाला]] आती है। यही पर्वतमाला भारत को [[तिब्बत]] और [[मध्य एशिया]] के भागों से पृथक करती है। उत्तरी भारत [[मौर्य राजवंश|मौर्य]], [[गुप्ता|गुप्त]], [[मुग़ल साम्राज्य|मुगल]] एवं [[यूनाइटेड किंगडम|ब्रिटिश]] साम्राज्यों का ऐतिहासिक केन्द्र रहा है। यहां बहुत से [[हिन्दू तीर्थ]] जैसे हरिद्वार,कुरूक्षेत्र, [[शाकम्भरी]] देवी सहारनपुर पर्वतों में [[गंगोत्री]] से लेकर मैदानों में [[वाराणसी|वाराणासी]] तक हैं, तो [[मुसलमान|मुस्लिम]] तीर्थ जैसे [[अजमेर]] आदि भी हैं। यहां [[विश्व धरोहर|विश्व धरोहर स्थल]] भी अनेक हैं, जैसे [[महाबोधि विहार|महाबोधि मंदिर]], [[हुमायूँ का मकबरा|हुमायुं का मकबरा]] और सर्वश्रेष्ठ [[ताजमहल]]। [[भारत सरकार]] द्वारा परिभाषित उत्तरी और उत्तर-मध्य क्षेत्र में [[जम्मू और कश्मीर|जम्मू एवं कश्मीर]], [[हिमाचल प्रदेश]], [[उत्तराखण्ड|उत्तराखंड]], [[हरियाणा]], [[पंजाब (भारत)|पंजाब]], [[राजस्थान]], [[उत्तर प्रदेश]], [[मध्य प्रदेश]], [[बिहार]], [[छत्तीसगढ़]] तथा [[झारखंडमध्य प्रदेश]] राज्य आते हैं। यहां के प्रमुख शहरों में [[नई दिल्ली]], [[कानपुर]], [[जयपुर]], [[लखनऊ]], [[इन्दौर|इंदौर]], [[लुधियाना]], [[चण्डीगढ़|चंडीगढ़]] आदि आते हैं। यहां बोली जाने वाली प्रमुख भाषाएं हैं [[हिन्दी]], [[पंजाबी]], [[कश्मीरी]], [[डोगरी भाषा|डोगरी]], [[उर्दू भाषा|उर्दु]], [[अवधी]], [[मैथिली भाषा|मैथिली]], [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]।
 
यहां के मैदान [[सिन्धु नदी|सिंधु]], [[गंगा नदी|गंगा]] और [[ब्रह्मपुत्र नदी|ब्रह्मपुत्र]] नदियों द्वारा बहाकर लाए गए जलोढ़ निक्षेप से बना है। इस मैदान की पूर्व से पश्चिम लंबाई लगभग 3200 किलो मीटर है। इसकी औसत चौड़ाई 150 से 300 किलोमीटर है। जलोढ़ निक्षेप की अधकतम गहराई 1000 से 2000 मीटर है। उत्तर से दक्षिण दिशा में इन मैदानों को तीन भागों में बाँट सकते हैं भाभर, तराई और जलोढ़ मैदान। जलोढ़ मैदान को आगे दो भागों में बाँटा जाता है- खादर और बाँगर। भाभर 8 से 10 किलोमीटर चौड़ाई की पतली पट्टी है जो शिवालिक गिरिपाद के समानांतर फैली हुई है। उसके परिणामस्वरूप हिमालय पर्वत श्रेणियों से बाहर निकलती नदियाँ यहाँ पर भारी जल-भार, जैसे- बड़े शैल और गोलाश्म जमा कर देती हैं और कभी-कभी स्वयं इसी में लुप्त हो जाती हैं। भाभर के दक्षिण में तराई क्षेत्र है जिसकी चौड़ाई 10 से 20 किलोमीटर है। भाभर क्षेत्र में लुप्त नदियाँ इस प्रदेश में ध्रातल पर निकल कर प्रकट होती हैं और क्योंकि इनकी निश्चित वाहिकाएँ नहीं होती, ये क्षेत्र अनूप बन जाता है, जिसे तराई कहते हैं। यह क्षेत्र प्राकॄतिक वनस्पति से ढका रहता है और विभिन्न प्रकार के वन्य प्राणियों का घर है। तराई से दक्षिण में मैदान है जो पुराने और नए जलोढ़ से बना होने के कारण बाँगर और खादर कहलाता है।