"कुण्डली": अवतरणों में अंतर

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[[जातक]] के जन्म के बाद जो ग्रह स्थिति आसमान में होती है, उस स्थिति को कागज पर या किसी अन्य प्रकार से अंकित किये जाने वाले साधन से भविष्य में प्रयोग गणना के प्रति प्रयोग किये जाने हेतु जो आंकडे सुरक्षित रखे जाते हैं, वह '''कुन्डली''' या '''जन्म पत्री''' कहलाती है।
 
जन्मकुंडली या जन्मपत्रिका जातक के जन्म के समय ग्रहों की आकाशीय स्थिति होती है, जो आकाश मंडल में स्थित होते हैं।
जन्म के समय ग्रहों की आकाशीय स्थिति की छायाप्रति ही जन्म कुंडली है। जन्म कुंडली आकाश का उस समय का नक्शा है, जब कोई बच्चा जन्म लेता है। उस समय आकाश में कौन सा ग्रह कहां है, इसका वर्णन जन्मकुंडली में होता है। जन्म कुंडली में स्थित नौ ग्रह और बारह राशियां ही मनुष्य जीवन को प्रभावित करते हैं जिसे एक निश्चित स्वरूप में कागज पर उतारते हैं, यही जन्मकुंडली है। यह भविष्य में होने वाले घटनाक्रम का लेखा-जोखा है।<ref>{{cite web |last1=त्रिभुवन |first1=कोठारी |title=जानें आखिर, जन्मकुंडली क्या है? |url=https://lovedevbhoomi.com/janmkundali/ |website=lovedevbhoomi.com |accessdate=11 अगस्त 2020}}</ref>
 
जन्म कुंडली निर्माण ( जन्मपत्री रचना ) काफी महत्वपूर्ण कार्य है क्योंकि ज्योतिष का आधार ही जन्मपत्री रचना होती है। जब तक यह पूर्णतया सही न बने तब तक फल कथन में प्रमाणिकता नहीं आती है। अतः सही जन्मपत्रिका की रचना के लिए गणितीय सूत्र, गणितीय प्रक्रिया में दक्ष होना आवश्यक है। यदि गणितीय प्रक्रिया ही गलत हुई तो फल कथन भी अशुद्ध होगा। अतः ज्योतिषी, जो जन्म कुंडली बनाता है उसे गणित के क्षेत्र में दक्ष होना चाहिए। इसी आधार पर सही फलादेश किया जाता है।
 
कुन्डली में सम्पूर्ण भचक्र को बारह भागों में विभाजित किया जाता है और जिस प्रकार से एक [[वृत]] के ३६० अंश होते हैं, उसी प्रकार से कुन्डली में भी ३६० अंशों को १२ भागों में विभाजित करने पर हर भाग के ३० अंश बनाकर एक [[राशियाँ|राशि]] का नाम दिया जाता है। इस प्रकार ३६० अंशों को बारह राशियों में विभाजित किया जाता है, बारह राशियों को अलग भाषाओं में अलग अलग नाम दिये गये हैं, भारतीय [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] और वेदों के अनुसार नाम इस प्रकार से है-'''[[मेष राशि|मेष]]''', '''[[वृष राशिअ|वृष]]''', '''[[मिथुन राशि सन्दूक|मिथुन]]''', '''[[कर्क राशि|कर्क]]''', '''[[सिंह राशि|सिंह]]''', '''[[कन्या राशि|कन्या]]''', '''[[तुला राशि|तुला]]''', '''[[वॄश्चिक राशि|वृश्चिक]]''', '''[[धनु राशि|धनु]]''', '''[[मकर राशि|मकर]]''', '''[[कुंभ राशि|कुम्भ]]''', '''[[मीन राशि|मीन]]''' इन राशियों को भावों या भवनो का नाम भी भी दिया गया है जैसे पहले भाव को नम्बर से लिखने पर १ नम्बर मेष राशि के लिये प्रयोग किया गया है। शरीर को ही ब्रह्माण्ड मान कर प्रत्येक भावानुसार शरीर की व्याख्या की गई है, संसार के प्रत्येक जीव, वस्तु, के भी अलग अलग भावों व्याख्या करने का साधन बताया जाता है।