"भवभूति": अवतरणों में अंतर

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: ''अस्ति दक्षिणापथे पद्मपुर नाम नगरम्। तत्र केचित्तैत्तिरीयाः काश्यपाश्चरणगुरवः पंक्तिपावनाः पंचाग्नयो धृतव्रताः सोमपीथिन उदुम्बरनामानो ब्रह्मवादिनः प्रतिवसन्ति। तदामुष्यायणस्य तत्रभवतो वाजपेययाजिनो महाकवेः पंचमः सुगृहीतनाम्नो भट्टगोपालस्य पौत्रः पवित्रकीर्तेर्नीलकण्ठस्यात्मसम्भवः श्रीकण्डपदलांछनः पदवाक्यप्रमाणज्ञो भवभूतानाम जातुकर्णीपुत्रः।....''
 
:''(अनुवाद : ‘दक्षिणापथ में पद्मपुर नाम का नगर है। वहाँ कुछ ब्राह्मज्ञानी ब्राह्मण रहते हैं, जो तैत्तिरीय शाखा से जुड़े हैं, कश्यपगोत्री हैं, अपनी शाखा में श्रेष्ठ, पंक्तिपावन, पंचाग्नि के उपासक, व्रती, सोमयाज्ञिक हैं एवं उदुम्बर उपाधि धारण करते हैं। इसी वंश में वाजपेय यज्ञ करनेवाले प्रसिद्ध महाकवि हुए। उसी परम्परा में पाँचवें भवभूति हैं जो स्वनामधन्य भट्टगोपाल के पौत्र हैं और पवित्र कीर्ति वाले नीलकण्ठ के पुत्र हैं। इनकी माता का नाम जातुकर्णी है और ये श्रीकण्ठ पदवी प्राप्त, पद, वाक्य और प्रमाण के ज्ञाता हैं।)''
 
’श्रीकण्ठ पदलांछनः भवभर्तिनाम’ इस उल्लेख से यह प्रकट होता है कि श्रीकण्ठ कवि की उपाधि थी और भवभूति नाम था। किन्तु कुछ टीकाकारों का यह विश्वास है कि कवि का नाम नीलकण्ठ था और भवभूति उपाधि थी, जो उन्हें कुछ विशेष पदों की रचना की प्रशंसा में मिली थी। इस पक्ष की पुष्टि में ‘महावीरचरित’ एवं ‘उत्तररामचरित’ के टीकाकर वीर राघव1 ने इस वाक्य की व्याख्या इस प्रकार प्रस्तुत की है—
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=== मालतीमाधव ===
 
== यह 10 अंकों का प्रकरण है जिसमें मालती और माधव की कल्पनाप्रसूत प्रेमकथा है। युवावस्था के उन्मादक प्रेम का इसमें उत्कृष्ट वर्णन है। इसमें स्थान स्थान पर [[प्रकृति]] का विशेष वर्णनचित्र प्राप्त होता है। ==
 
== भाषा-शैली ==