"जमनालाल बजाज": अवतरणों में अंतर

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'''जमनालाल बजाज''' (४ नवम्बर १८८४ - ११ फ़रवरी १९४२) [[भारत]] के एक उद्योगपति, मानवशास्त्री एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वे [[महात्मा गांधी]] के अनुयायी थे तथा उनके बहुत करीबी व्यक्ति थे। गांधीजी ने उन्हें अपने पुत्र की तरह माना। आज भी उनके संचालित ट्रस्ट समाजसेवा के कामों में जुटा है।
 
==जीवनी==
जमनालाल बजाज का जन्म 4 नवंबर 1889 को '"काशी का बास" में हुआ था। प्रौढ़ निःसन्तान दम्पत्ति बच्छराज ने जमनालाल को गोद लिया। केवल 12 वर्ष की उम्र में विवह होने के बाद जमनालाल बजाज ने [[महाराष्ट्र]] के [[वर्धा]] में परिवार के व्यापार को बढ़ाने का निर्णय लिया था। केवल 17 वर्ष की उम्र में कारोबार संभालने वाले जमनालाल ने एक बाद एक कई कंपनियों की स्थापना की थी, जो आगे चलकर [[बजाज समूह]] कहलाया । आज यह [[भारत]] के प्रमुख व्यवसायी घरानों में से एक है।
 
जमनालाल धीरे-धीरे स्वाधीनता आन्दोलन में जुड़ते गए। आरम्भ में वे [[मदनमोहन मालवीय]] से मिले। 1906 में जब [[बाल गंगाधर तिलक]] ने अपनी [[मराठी]] पत्रिका [[केसरी]] का [[हिन्दी]] संस्करण निकालने के लिए विज्ञापन दिया तो युवा जमनालाल ने एक रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मिलने वाले जेब खर्च से जमा किए गए सौ रुपए तिलक को जाकर दे दिए।
1920 में कांग्रेस के [[नागपुर]] अधिवेशन में जमनालाल ने महात्मा गांधी से अनुरोध किया कि वे उनका पांचवां पुत्र बनना चाहते हैं। उन्हें अपने पिता के रूप में गोद लेना चाहते हैं। प्रस्ताव सुनकर गांधीजी को आश्चर्य हुआ, लेकिन उन्होंने स्वीकृति दे दी। असहयोग आंदोलन के दौरान उन्होंने सबसे पहले अपने घर के कीमती और रेशमी वस्त्र जला दिए। आजीवन खादी पहनने का व्रत ले लिया। अंग्रेज सरकार द्वारा दी गई राय-बहादुर की पदवी त्याग दी।
 
==समाजसेवा==
जमनालाल बजाज ने कारोबार के साथ ही सामाजिक जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं अदा कीं। एक समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी के तौर पर याद किए जाने वाले जमनालाल बजाज को महात्मा गांधी ने अपना 5वां पुत्र कहा था। महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका से वापस आने के बाद से ही जमनालाल बजाज उनसे प्रभावित थे। इसके बाद उन्होंने ही महात्मा गांधी को वर्धा में स्वतंत्रता आंदोलन का केंद्र बनाने की सलाह दी थी। इसके लिए उनकी ओर से 20 एकड़ जमीन भी दान की गई थी। महात्मा गांधी का उन पर ऐसा प्रभाव था कि अंग्रेजों से मिली [[राय बहादुर]] की उपाधि को उन्होंने लौटा दिया था और स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे।
 
वे [[असहयोग आन्दोलन]], [[नागपुर]] [[झंडा सत्याग्रह]], [[सायमन कमिशन]] का बहिष्कार, [[डांडी यात्रा]] और अन्य कई आन्दोलनों में वह सक्रिय तौर पर शामिल रहे। यहां तक की डांडी मार्च में महात्मा गांधी की गिरफ्तारी के बाद जमनालाल बजाज को भी दो वर्ष के लिए नासिक सेन्ट्रल जेल में रहना पड़ा। खुद महात्मा गांधी ने उनके योगदान का जिक्र करते हुए कहा था कि मैं कोई काम नहीं कर सकता, यदि जमनालाल बजाज की ओर से तन, मन और धन से सहयोग न हो। मुझे और उन्हें राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है।
 
भारतीय स्वतंत्रता के महानायकों में से एक रहे [[बालगंगाधर तिलक]] का 1920 में निधन हुआ था और 1921 में उनके नाम पर ऑल इंडिया तिलक मेमोरियल फंड बना था। इसमें जमनालाल बजाज ने उस समय 1 करोड़ रुपये की बड़ी पूंजी दान की थी। इस राशि का उपयोग देश भर में [[खादी]] की लोकप्रियता के लिए किया गया था। करीब दो दशकों तक वह [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस|कांग्रेस]] के लिए एक 'फाइनेंसर' की तरह रहे।
 
 
 
 
== उल्लेखनीय कार्य ==