"रक्षाबन्धन": अवतरणों में अंतर

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रक्षाबन्धन पर्व सामाजिक और पारिवारिक एकबद्धता या एकसूत्रता का सांस्कृतिक उपाय रहा है। विवाह के बाद बहन पराये घर में चली जाती है। इस बहाने प्रतिवर्ष अपने सगे ही नहीं अपितु दूरदराज के रिश्तों के भाइयों तक को उनके घर जाकर राखी बाँधती है और इस प्रकार अपने रिश्तों का नवीनीकरण करती रहती है। दो परिवारों का और कुलों का पारस्परिक योग (मिलन) होता है। समाज के विभिन्न वर्गों के बीच भी एकसूत्रता के रूप में इस पर्व का उपयोग किया जाता है। इस प्रकार जो कड़ी टूट गयी है उसे फिर से जागृत किया जा सकता है।<ref>{{cite web|url= http://www.amarujala.com/dharam/default1.asp?foldername=20010804&sid=3|title= सामाजिक पारिवारिक एकबद्धता का उपक्रम है रक्षाबंधन|access-date= [[17 अगस्त]] [[2007]]|format= एएसपी|publisher= अमर उजाला|language= |archive-url= https://web.archive.org/web/20070927010025/http://www.amarujala.com/dharam/default1.asp?foldername=20010804&sid=3|archive-date= 27 सितंबर 2007|url-status= dead}}</ref>
 
रक्षाबन्धन के अवसर पर कुछ विशेष पकवान भी बनाये जाते हैं जैसे [[घेवर]], शकरपारे, नमकपारे और घुघनी। घेवर सावन का विशेष मिष्ठान्न है यह केवल हलवाई ही बनाते हैं जबकि शकरपारे और नमकपारे आमतौर पर घर में ही बनाये जाते हैं। घुघनी बनाने के लिये काले चने को उबालकर चटपटा छौंका जाता है। इसको पूरी और दही के साथ खाते हैं। हलवा और खीर भी इस पर्व के लोकप्रिय पकवान हैं।<ref>{{Cite web|url=https://www.prabhasakshi.com/currentaffairs/history-mythological-and-cultural-significance-of-rakshabandhan-festival|title=रक्षाबंधन पर्व का इतिहास, पौराणिक और सांस्कृतिक महत्व|last=Prabhasakshi|date=2020-08-01|website=Prabhasakshi|language=hi|access-date=2020-09-12}}</ref>
 
== भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में रक्षा बन्धन पर्व की भूमिका ==