"पृथ्वी": अवतरणों में अंतर

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पृथ्वी के वायुमंडल की कोई निश्चित सीमा नहीं है, यह आकाश की ओर धीरे-धीरे पतला होता जाता है और बाह्य अंतरिक्ष में लुप्त हो जाता है। वायुमंडल के द्रव्यमान का तीन-चौथाई हिस्सा, सतह से 11 किमी (6.8 मील) के भीतर ही निहित है। सबसे निचले परत को ट्रोफोस्फीयर कहा जाता है। सूर्य की ऊर्जा से यह परत ओर इसके नीचे तपती है, और जिसके कारण हवा का विस्तार होता हैं। फिर यह कम-घनत्व वाली वायु ऊपर की ओर जाती है और एक ठण्डे, उच्च घनत्व वायु में प्रतिस्थापित हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप ही [[वायुमंडलीय परिसंचरण]] बनता है जो तापीय ऊर्जा के पुनर्वितरण के माध्यम से मौसम और जलवायु को चलाता है।<ref>{{cite web|url=http://www.webcitation.org/6F17zeqFy?url=http://www.nasa.gov/worldbook/weather_worldbook.html|first=Moran,|last=Joseph M. (2005).|title= "Weather".|publisher=World Book Online Reference Center. NASA/World Book, Inc. Archived from the original on 10 March 2013. |date=Retrieved 17 March 2007.}}</ref>
 
प्राथमिक वायुमंडलीय परिसंचरण पट्टी, 30° अक्षांश से नीचे के भूमध्य रेखा क्षेत्र में और 30° और 60° के बीच मध्य अक्षांशों में [[उष्णकटिबंधीय चक्रवात|पच्छमी हवा]] की [[व्यापारिक पवन]] से मिलकर बने होते हैं।