"मिच्छामि दुक्कड़म्": अवतरणों में अंतर

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मच्छामि दुक्कड़म् एक प्राचीन भारतीय प्राकृत भाषा का वाक्यांश है, जो ऐतिहासिक जैन ग्रंथों में पाया जाता है। इसका संस्कृत समतुल्य है "मिथ्या मे दुश्चरित्रम" और दोनों का शाब्दिक अर्थ है "जो कुछ भी किया गया है वह सब व्यर्थ हो सकता है"<ref name="cha">{{Cite book|url=https://books.google.com/books?id=abLZNdYxay8C|title=Jainism and Ecology: Nonviolence in the Web of Life|last=Christopher Key Chapple|publisher=Motilal Banarsidass|year=2006|isbn=978-81-208-2045-6|page=46}}</ref>