"अथर्ववेद संहिता": अवतरणों में अंतर

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==परिचय==
[[भूगोल]], [[ब्रह्माण्ड|खगोल]], वनस्पति विद्या, असंख्य जड़ी-बूटियाँ, [[आयुर्वेद]], गंभीर से गंभीर रोगों का निदान और उनकी चिकित्सा, [[अर्थशास्त्र]] के मौलिक सिद्धान्त, [[राजनीति]] के गुह्य तत्त्व, राष्ट्रभूमि तथा [[राष्ट्रभाषा]] की महिमा, [[शल्यचिकित्सा]], कृमियों से उत्पन्न होने वाले रोगों का विवेचन, मृत्यु को दूर करने के उपाय, [[मोक्ष]], प्रजनन-विज्ञान अदि सैकड़ों लोकोपकारक विषयों का निरूपण अथर्ववेद में है। [[आयुर्वेद दबा]] की दृष्टि से अथर्ववेद का महत्व अत्यन्त सराहनीय है। अथर्ववेद में शान्ति-पुष्टि तथा अभिचारिक दोनों तरह के अनुष्ठन वर्णित हैं।
 
[[चरणव्यूह]] ग्रंथ के अनुसार अथर्वसंहिता की नौ शाखाएँ हैं-