"समाजवादी इंटरनेशनल": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Red Rose (Socialism).svg|right|thumb|300px|'''समाजवादी इंटरनेशनल''' का प्रतीक-चिह्न (लोगो)|कड़ी=Special:FilePath/Red_Rose_(Socialism).svg]]
[[चित्र:Countries governed by SI parties.png|right|thumb|300px|समाजवादी इंटरनेशनल दलों द्वारा शासित देश]]
 
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प्रथम इंटरनैशनल की शाखाएँ जल्दी ही यूरोप के विभिन्न देशों में स्थापित हो गईं। इस इंटरनैशनल के उद्देश्य और नियम [[कार्ल मार्क्स]] ने तैयार किए थे और जान बूझकर इसलिए नरम रखे गए थे कि संगठन को व्यापक रूप दिया जा सके। सन् १८७१ में [[पेरिस कम्यून]] का विप्लव हुआ जिसका प्रथम इंटरनैशनल के कुछ नेताओं ने जोरदार समर्थन किया। परंतु विद्रोह अंत में विफल हो गया जिससे इंटरनैशनल को भारी धक्का लगा। [[ब्रिटिश ट्रेड यूनियन कांग्रेस]] ने सहयोग देना बंद कर दिया। उधर [[अराजकतावाद|अराजकतावादी]] [[माइकेल बुकानिन]] तथा कार्ल मार्क्स के मतभेद और झगड़ों के कारण इंटरनैशनल बहुत कमजोर हो चुका था और अंत में सन् १८७६ में वह समाप्त हो गया।
 
==<span lang="en" dir="ltr">द्वितीय</span> इंटरनैशनल==
सन् १८८९ में 'समाजवादी इंटरनैशनल के नाम से स्थापित हुआ, किंतु इसका विधिवत् संगठन सन् १९०० में हुआ। इसे आम तौर से द्वितीय इंटरनैशनल के नाम से जाना जाता है द्वितीय इंटरनैशनल के नियामक घटक समाजवादी तथा मजदूर (राजनीतिक) दल थे जो इस बीच यूरोप के अनेक देशों में गठित हो गए थे। समाजवादी इंटरनैशनल समान हित तथा रुचि के मसलों पर विचार करनेवाला एक मंच था जिसके सदस्य अपनी राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय नीतियों में पूर्णत: स्वाधीन थे और इंटरनैशनल द्वारा नियंत्रित नहीं थे। युद्ध रोकना और बड़े राष्ट्रों में युद्ध शुरू हो जाने की दशा में अपने अपने देश में व्यापक संघर्ष तथा विप्लव द्वारा सत्ता हस्तगत करना, सन् १९१४ तकश् इंटरनैशनल के विचार का मुख्य विषय बना हुआ था। फिर भी यह इंटरनैशनल मतवैभिन्य के कारण कोई ऐसा निर्णय नहीं ले पाया। उसके स्वीकृत प्रस्ताव युद्ध रोकने तथा शांति बनाए रखने के संकल्प तक सीमित रहे। जब प्रथम विश्वयुद्ध शुरू हुआ तो यूरोप के अधिकांश समाजवादी दलों ने युद्ध में अपनी अपनी सरकारों का साथ दिया। युद्धकाल में द्वितीय इंटरनैशनल सर्वथा निष्क्रिय रहा। युद्ध समाप्त हो जाने के बाद सन् १९१८ में जब द्वितीय इंटरनैशनल को मजदूर तथा समाजवादी इंटरनैशनल के नाम से पुनर्गठित किया गया तो लेनिनवादी-मार्क्सवादी दल उसमें शामिल नहीं हुए और उन्होंने लेनिन के नेतृत्व में तृतीय इंटरनैशनल कायम किया सन् १९३९ में दूसरा विश्वयुद्ध शुरु होने पर द्वितीय इंटरनैशनल फिर निष्क्रिय हो गया। युद्ध समाप्त होने पर, रूस के प्रभाव में आए पूर्वी यूरोप के समाजवादी दलों की विषम स्थिति के कारण, द्वितीय इंटरनैशनल को पुनरुज्जवीति नहीं किया गया और सन् १९४६ में उसे समाप्त कर दिया गया। इसके बाद सन् १९४८ में 'कोमिस्को' नाम से लोकतांत्रिक समाजवादी दलों का एक नया समाजवादी अंतरराष्ट्रीय मंच बना जिसे सन् १९५१ में 'समाजवादी इंटरनैशनल' में बदल दिया गया।