"मंगल पांडे": अवतरणों में अंतर

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मंगल पांडे द्वारा लगायी गयी विद्रोह की यह चिंगारी बुझी नहीं। एक महीने बाद ही १० मई सन् १८५७ को [[मेरठ]] की छावनी में बगावत हो गयी। यह विप्लव देखते ही देखते पूरे उत्तरी भारत में फैल गया जिससे अंग्रेजों को स्पष्ट संदेश मिल गया कि अब भारत पर राज्य करना उतना आसान नहीं है जितना वे समझ रहे थे। इसके बाद ही [[हिन्दुस्तान]] में चौंतीस हजार सात सौ पैंतीस अंग्रेजी कानून यहाँ की जनता पर लागू किये गये ताकि मंगल पाण्डेय सरीखा कोई सैनिक दोबारा भारतीय शासकों के विरुद्ध बगावत न कर सके।<ref>{{cite book |last= |first= |date= |title=Indian Army Chief's |url=https://books.google.co.in/books?id=XLjjDAAAQBAJ&pg=PT8&lpg=PT8&dq=34735+laws+after+1857+in+india&source=bl&ots=ZN9KkzSfVM&sig=mGGhM5ArywB3VaL9M7UPTOY_E3s&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwj0svK0tKrYAhUEuY8KHeT1Cd4Q6AEIEzAA#v=onepage&q=34735%20laws%20after%201857%20in%20india&f=false |publisher=Prabhat Prakashan |page= |isbn= |author-link=Parijat Tripathi |access-date=27 दिसंबर 2017 |archive-url=https://web.archive.org/web/20171227235854/https://books.google.co.in/books?id=XLjjDAAAQBAJ&pg=PT8&lpg=PT8&dq=34735+laws+after+1857+in+india&source=bl&ots=ZN9KkzSfVM&sig=mGGhM5ArywB3VaL9M7UPTOY_E3s&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwj0svK0tKrYAhUEuY8KHeT1Cd4Q6AEIEzAA#v=onepage&q=34735%20laws%20after%201857%20in%20india&f=false |archive-date=27 दिसंबर 2017 |url-status=live }}</ref>
 
== मंगल पांडे का मुकदमा ==
8 अप्रैल सिपाही मंगल पांडे का मुकदमा। न्याय के नाम पर सिर्फ एक फरेब। मंगल पांडे अभी भी बीमार हैं, अस्पताल में पड़े हुए हैं। घाव सूज गए हैं। यह कहे बिना जाता है कि बचने की कोई उम्मीद नहीं है। 6 अप्रैल की सुबह। अंग्रेजों ने एक बीमार मर चुके सैनिक मंगल पांडे को बैरकपुर के सभी सैनिकों के सामने फांसी पर लटका दिया। ईश्वर पांडे को भी उस दिन फांसी दी गई थी।<ref>{{Cite web|url=https://barrackpore.net/mangal-pandey-barrackpore/|title=Barrackpore and Mangal Pande(মঙ্গল পাণ্ডে ও ব্যারাকপুর)|date=2020-09-15|website=Barrackpore|language=en-US|access-date=2020-09-16}}</ref>
 
== सन्दर्भ ==