"हरतालिका व्रत": अवतरणों में अंतर
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[[File:Teej.jpg|thumb|हरतालिका तीज]]
'''हरतालिका व्रत ''' को हरतालिका तीज या तीजा भी कहते हैं। यह व्रत [[भाद्रपद ]]<ref>{{cite web |url=http://dharm.raftaar.in/religion/hinduism/vrat-katha/hartalika-teej |title=हरतालिका तीज व्रत कथा |author= |date= |work=कथा |publisher=रफ़्तार |accessdate=३ अगस्त २०१६ |archive-url=https://web.archive.org/web/20160801215109/http://dharm.raftaar.in/religion/hinduism/vrat-katha/hartalika-teej |archive-date=1 अगस्त 2016 |url-status=
सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग को अखण्ड बनाए रखने और अविवाहित युवतियां मन मुताबिक वर पाने के लिए हरितालिका तीज का व्रत करती हैं। सर्वप्रथम इस व्रत को माता [[पार्वती]] ने भगवान शिव शंकर के लिए रखा था। इस दिन विशेष रूप से गौरी−शंकर का ही पूजन किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाली स्त्रियां सूर्योदय से पूर्व ही उठ जाती हैं और नहा धोकर पूरा श्रृंगार करती हैं। पूजन के लिए केले के पत्तों से मंडप बनाकर गौरी−शंकर की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इसके साथ पार्वती जी को सुहाग का सारा सामान चढ़ाया जाता है। रात में भजन, कीर्तन करते हुए जागरण कर तीन बार आरती की जाती है और शिव पार्वती विवाह की कथा सुनी जाती है।
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