"चण्डी चरित्र": अवतरणों में अंतर

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| page = 7}}</ref> [[सिख धर्म|सिखों]] के दसवें [[गुरु गोबिन्द सिंह]] जी द्वारा रचित देवी [[चण्डी|चण्डिका]] की एक स्तुति है। गुरु गोबिन्द सिंह एक महान योद्धा एवं कवि थे।
 
यह स्तुति [[दसम ग्रंथ|दशम ग्रंथ]] के "उक्ति बिलास" नामक विभाग का एक हिस्सा है। गुरुबाणी में [[सनातन]] देवी-देवताओं का अन्य जगह भी वर्णन आता है<ref>{{Cite web |url=http://www.srigranth.org/servlet/gurbani.gurbani?Action=KeertanPage&K=553&L=9&id=24468 |title=संग्रहीत प्रति |access-date=9 जनवरी 2010 |archive-url=https://web.archive.org/web/20160307214714/http://www.srigranth.org/servlet/gurbani.gurbani?Action=KeertanPage&K=553&L=9&id=24468 |archive-date=7 मार्च 2016 |url-status=livedead }}</ref>।
 
'चण्डी' के अतिरिक्त 'शिवा' शब्द की व्याख्या ईश्वर के रूप में भी की जाती है। "महाकोश" नामक किताब में ‘शिवा’ की व्याख्या ‘ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ’ (परब्रह्म की शक्ति) के रूप में की गई है<ref>{{cite web