"चम्पारण सत्याग्रह": अवतरणों में अंतर

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हजारों भूमिहीन मजदूर एवं गरीब [[किसान]] खाद्यान्न के बजाय [[नील]] और अन्य नकदी फसलों की खेती करने के लिये बाध्य हो गये थे। वहाँ पर नील की खेती करने वाले किसानों पर बहुत अत्याचार हो रहा था। अंग्रेजों की ओर से खूब शोषण हो रहा था। ऊपर से कुछ बगान मालिक भी जुल्म ढा रहे थे। महात्मा गाँधी ने अप्रैल 1917 में राजकुमार शुक्ला के निमंत्रण पर बिहार के चम्पारण के नील कृषकों की स्थिति का जायजा लेने वहाँ पहुँचे। उनके दर्शन के लिए हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। किसानों ने अपनी सारी समस्याएँ बताईं। उधर पुलिस भी हरकत में आ गई। पुलिस सुपरिटेंडेंट ने गांधीजी को जिला छोड़ने का आदेश दिया। गांधीजी ने आदेश मानने से इंकार कर दिया। अगले दिन गांधीजी को कोर्ट में हाजिर होना था। हजारों किसानों की भीड़ कोर्ट के बाहर जमा थी। गांधीजी के समर्थन में नारे लगाये जा रहे थे। हालात की गंभीरता को देखते हुए मेजिस्ट्रेट ने बिना जमानत के गांधीजी को छोड़ने का आदेश दिया। लेकिन गांधीजी ने कानून के अनुसार सजा की माँग की। [[चित्र:Dr Rajendra Pd. DR.Anugrah Narayan Sinha.jpg|right|thumb|300px|चंपारन सत्याग्रह में डॉ राजेन्द्र प्रसाद एवं डॉ अनुग्रह नारायण सिंह]]
 
फैसला स्थगित कर दिया गया। अपने प्रथम सत्याग्रह आंदोलन का सफल नेतृत्त्व किया अब उनका पहला उद्देश लोगों को 'सत्याग्रह' के मूल सिद्धातों से परिचय कराना था। उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्त करने की पहली शर्त है - डर से स्वतंत्र होना। गांधीजी ने अपने कई स्वयंसेवकों को किसानों के बीच में भेजा। यहाँ किसानों के बच्चों को शिक्षित करने के लिए ग्रामीण विद्यालय खोले गये। लोगों को साफ-सफाई से रहने का तरीका सिखाया गया। सारी गतिविधियाँ गांधीजी के आचरण से मेल खाती थीं। इस दौरान गांधी जी<ref>{{Cite web |url=http://www.univarta.com/gandhi-thought-rajendra-kripalani-and-anugrah-to-make-their-own-food/features/news/841521.html |title=संग्रहीत प्रति |access-date=11 मई 2017 |archive-url=https://web.archive.org/web/20170424233316/http://www.univarta.com/gandhi-thought-rajendra-kripalani-and-anugrah-to-make-their-own-food/features/news/841521.html |archive-date=24 अप्रैल 2017 |url-status=live }}</ref> ने राजेंद्र बाबू,आचार्य कृपलानी और अनुग्रह बाबू जैसे सहयोगियों को भोजन बनाना एवं घर के अन्य काम खुद करना सीखा दिया था। स्वयंसेवकों नें मैला ढोने, धुलाई, झाडू-बुहारी तक का काम किया।।चंपारण के इस ऐतिहासिक संघर्ष में<ref>{{Cite web |url=http://www.livehindustan.com/news/guestcolumn/article1-mahatma-gandhi-satyagraha-champaran-527688.html |title=संग्रहीत प्रति |access-date=21 अप्रैल 2016 |archive-url=https://web.archive.org/web/20160422155215/http://www.livehindustan.com/news/guestcolumn/article1-mahatma-gandhi-satyagraha-champaran-527688.html |archive-date=22 अप्रैल 2016 |url-status=livedead }}</ref> डॉ [[राजेंद्र प्रसाद]], डॉ [[अनुग्रह नारायण सिंह]], [[आचार्य कृपलानी]], बृजकिशोर, [[महादेव देसाईं|महादेव देसाई]], [[नरहरि पारीख]] समेत चंपारण के किसानों ने अहम भूमिका निभाई।
 
चंपारण के इस गांधी अभियान से अंग्रेज सरकार परेशान हो उठी। सारे भारत का ध्यान अब चंपारण पर था। सरकार ने मजबूर होकर एक जाँच आयोग नियुक्त किया एवं गांधीजी को भी इसका सदस्य बनाया गया। परिणाम सामने था। कानून बनाकर सभी गलत प्रथाओं को समाप्त कर दिया गया। जमींदार के लाभ के लिए नील की खेती करने वाले किसान अब अपने जमीन के मालिक बने। गांधीजी ने भारत में सत्याग्रह की पहली विजय का शंख फूँका। चम्पारण ही भारत में सत्याग्रह की जन्म स्थली बना। धन्यवाद |