"अभिनवगुप्त": अवतरणों में अंतर

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'''अभिनवगुप्त''' (975-1025) दार्शनिक, रहस्यवादी एवं [[साहित्य सिद्धान्त|साहित्यशास्त्र]] के मूर्धन्य आचार्य। कश्मीरी<ref>{{Cite web |url=http://www.koausa.org/Glimpses/abhinava.html |title="Abhinavagupta – the Philosopher". |access-date=24 मई 2017 |archive-url=https://web.archive.org/web/20170720194646/http://www.koausa.org/Glimpses/abhinava.html |archive-date=20 जुलाई 2017 |url-status=livedead }}</ref> [[शैव]] और [[तन्त्र]] के पण्डित। वे संगीतज्ञ, कवि, नाटककार, धर्मशास्त्री एवं तर्कशास्त्री भी थे।<ref>Re-accessing Abhinavagupta, Navjivan Rastogi, page 4</ref><ref>Key to the Vedas, Nathalia Mikhailova, page 169</ref>
 
अभिनवगुप्त का व्यक्तित्व बड़ा ही रहस्यमय है। [[महाभाष्य]] के रचयिता [[पतञ्जलि|पतंजलि]] को [[व्याकरण]] के इतिहास में तथा [[भामती]]कार [[वाचस्पति मिश्र]] को [[अद्वैत वेदान्त|अद्वैत वेदांत]] के इतिहास में जो गौरव तथा आदरणीय उत्कर्ष प्राप्त हुआ है वही गौरव अभिनव को भी [[तन्त्र|तंत्र]] तथा [[काव्यशास्त्र|अलंकारशास्त्र]] के इतिहास में प्राप्त है। इन्होंने [[रस (काव्य शास्त्र)|रस]] सिद्धांत की मनोवैज्ञानिक व्याख्या ([[अभिव्यंजनावाद]]) कर अलंकारशास्त्र को दर्शन के उच्च स्तर पर प्रतिष्ठित किया तथा [[प्रत्यभिज्ञा दर्शन|प्रत्यभिज्ञा]] और [[कश्मीर शैवदर्शन|त्रिक दर्शनों]] को प्रौढ़ भाष्य प्रदान कर इन्हें तर्क की कसौटी पर व्यवस्थित किया। ये कोरे शुष्क तार्किक ही नहीं थे, प्रत्युत साधनाजगत् के गुह्य रहस्यों के मर्मज्ञ साधक भी थे।