"शूट आउट एट लोखंडवाला (2007 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर
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==सारांश==
फ़िल्म का पर्दापर्ण झाड़ु और पोंछा लगाकर लोखंडवाला काॅम्पलेक्स के स्वाति बिल्डिंग के इर्द गिर्द सूख चुके खून और बिखरे कारतूसों की सफाई की दृश्य से शुरू होते हैं।<ref>{{cite web|title=The building where the shootout really happened|url=http://specials.rediff.com/movies/2007/may/23look.htm|publisher=[[Rediff]]|accessdate=10 July 2011|date=23 May 2007|archive-url=https://web.archive.org/web/20110726073047/http://specials.rediff.com/movies/2007/may/23look.htm|archive-date=26 जुलाई 2011|url-status=
फ़िल्म का दूसरा रुख भूतपूर्व मुख्या न्यायाधीश रहे निजी अभियोजक ढींगरा (अमिताभ बच्चन) के दफ़्तर को मुड़ती है जहाँ वे मौजूद मुंबई एनकाउंटर स्कवाड के शीर्ष सदस्यों का साक्षात्कार लेते है: अपर पुलिस कमिश्नर शमशेर एस. ख़ान (यहां ए.ए. ख़ान का जिक्र है जिसकी भूमिका संजय दत्त ने की है), इंस्पेक्टर कविराज पाटिल (सुनील शेट्टी) और पुलिस हवलदार जावेद शेख़ (अरबाज़ ख़ान)। फ़िल्म का मुख्य समयरेखा भी इन्हीं तीन अफसरों द्वारा ढींगरा के साक्षात्कार के साथ गुजरता है; जहाँ वे अफसरों जवाब ढींगरा के सवालों पर देते हैं, जिसके साथ फ़िल्म में कई फ्लैश बैक में उपरोक्त घटनाओं का जिक्र चलता है। ढींगरा उनसे इस एनकाउंटर दस्ते के बारे में पुछताछ करते हैं। ख़ान बताते हैं कि उन्होंने मुंबई पुलिस विभाग से कई बेहतरीन 27 कर्मियों और अफसरों को चुना हैं। इस दस्ते को बनाने का ख्याल उन्हें अमेरिकी, एलएपीडी ([[लाॅस एंजिल्स पुलिस डिपार्टमेंट]]) [[स्वाट]] टीम ([[स्पेशल वेपन्स एंड टेक्टिक्स]] विशेष शस्त्रीकरण एवं युद्धनीति) के अपराध का सामना करते देखने से मिली।
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