"मूर्ति कला": अवतरणों में अंतर

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भारत की [[सिंधु घाटी सभ्यता|सिंधु घाटी सभ्‍यता]] के मोहनजोदड़ों के बड़े-बड़े जल कुण्‍ड प्राचीन मूर्तिकला का एक श्रेष्‍ठ उदाहरण हैं। दक्षिण के मंदिरों जैसे कि [[कांचीपुरम]], मदुरै, श्रीरंगम और रामेश्‍वरम तथा उत्तर में वाराणसी के मंदिरों की नक्‍काशी की उस उत्‍कृष्‍ट कला के चिर-प्रचलित उदाहरण है जो भारत में समृद्ध हुई।
 
केवल यही नहीं, [[मध्‍य प्रदेश]] के [[खजुराहो मंदिर]] और [[ओडिशा|उड़ीसा]] के [[सूर्य मंदिर]] में इस उत्‍कृष्‍ट कला का जीता जागता रूप है। [[सांची स्‍तूप]] की मूर्तिकला भी बहुत भव्‍य है जो तीसरी सदी ई.पू. से ही इसके आस-पास बनाए गए जंगलों (बालुस्‍ट्रेड्स) और तोरण द्वारों को अलंकृत कर रही हैं। मामल्‍लापुरम का मंदिर; सारनाथ संग्रहालय के लायन केपीटल (जहां से भारत की सरकारी मुहर का नमनानमूना तैयार किया गया था) में मोर्य की पत्‍थर की मूर्ति, [[गौतम बुद्ध|महात्‍मा बुद्ध]] के जीवन की घटनाओं को चित्रित करने वाली अमरावती और नागर्जुनघोंडा की वास्‍तुशिल्‍पीय मूर्तियां इसके अन्‍य उदाहरण हैं।
 
हिन्‍दु गुफा वास्‍तुशिल्‍प की पराकाष्‍ठा [[मुम्‍बई]] के निकट [[एलीफेंटा गुफा]]ओं मे देखी जा सकती है और इसी प्रकार एलोरा के हिन्‍दु और जैन शैल मंदिर विशेष रूप से आठवीं शताब्‍दी का [[कैलास (मन्दिर)|कैलाश मंदिर]] वास्‍तुशिल्‍प का यह रूप देखा जा सकता है।