"एक कहानी यह भी": अवतरणों में अंतर

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मन्नू जी की यह कहानी, उनकी लेखकीय यात्रा के कोई छोटे मोटे उतार चढ़ावों की ही कहानी नहीं है, अपितु जीवन के उन बेरहम झंझावातों और भूकम्पों की कहानी भी है, जिनका एक झोंका, एक झटका ही व्यक्ति को तहस नहस कर देने के लिए काफ़ी होता है। मन्नू जी उन्हें भी झेल गईं। कुछ तड़की, कुछ भड़की -फिर सहज और शान्त बन गईं। आज उन्हीं संघर्षों के बल पर वे उस तटस्थ स्थिति में पहुँच गई हैं, जहाँ उन्हें न दुख सताता है, न सुख ! एक शाश्वत सात्विक भाव में बनीं रहती हैं और शायद इसी कारण वे फिर से लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हो गई हैं।<ref>{{cite web|url=http://www.sahityakunj.net/LEKHAK/D/DeeptiGupta/ek_kahani_yah_bhee_SahityaCharcha.htm|title=एक कहानी यह भी समीक्षात्मक अभिव्यक्ति|access-date=[[३१ जनवरी]] [[२००९]]|format=एच.टी.एम|publisher=साहित्य कुंज|language=|archive-url=https://web.archive.org/web/20080522080853/http://www.sahityakunj.net/LEKHAK/D/DeeptiGupta/ek_kahani_yah_bhee_SahityaCharcha.htm|archive-date=22 मई 2008|url-status=dead}}</ref>
 
==पात्र==
* रंजना
* अमर
* अमला
 
== विशेषताएँ ==