"प्रौढ़ शिक्षा": अवतरणों में अंतर

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NPE-2020
Presented by:
RAM PAL & RAKESH KUMAR
JBT,s GPS FUFLI JHALWANA
E/B-JHANDUTTA, BIALSPUR (HP)
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प्रौढ़ शिक्षा का उद्देश्‍य उन प्रौढ व्‍यक्तियों को शैक्षिक विकल्‍प देना है, जिन्‍होंने यह अवसर गंवा दिया है और औपचारिक शिक्षा आयु को पार कर चुके हैं, लेकिन अब  वे साक्षरता, आधारभूत शिक्षा, कौशल विकास (व्‍यावसायिक शिक्षा) और इसी तरह की अन्‍य शिक्षा सहित किसी तरह के ज्ञान की आवश्‍यकता का अनुभव करते हैं। प्रौढ़ शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से पहली पंचवर्षीय योजना से अनेक कार्यक्रम शुरू किए गए हैं, जिनमें सबसे प्रमुख राष्‍ट्रीय साक्षरता मिशन (एन एल एम) है, जिसे समयबद्ध तरीके से 15-35 वर्ष की आयु समूह में अशिक्षितों को कार्यात्‍मक साक्षरता प्रदान करने के लिए 1988 में शुरू किया गया था। 10वीं योजना अवधि के अंत तक एन एल एम ने 127.45 मिलियन व्‍यक्तियों को साक्षर किया, जिनमें से 60 प्रतिशत महिलाएं थीं, 23 प्रतिशत अनुसूचित जाति (अजा) और 12 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति (अजजा) से संबंधित थे। समग्र साक्षरता अभियान के अंतर्गत 597 जिलों को शामिल किया गया था, जिनमें 502 साक्षरता पश्‍चात  चरण और 328 सतत शिक्षा चरण में पहुंच गए हैं।
 
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'''अजा की साक्षरता दर''' 66.07% है (पुरूष अजा 75.17% और महिला अजा 56.46%) जबकि अजजा की साक्षरता दर 58.96% है (पुरूष अजजा 68.53% और महिला अजजा 49.35%)
 
साक्षरता के लिंग विभेद में 2001 में 21.59 प्रतिशत से 2001-2011 में 16.25 प्रतिशत होकर 5.34 प्रतिशत की कमी हुई है। 1991 से साक्षरता में लिंग अंतर में सतत् कमी होती रही है (24.84 प्रतिशत)।
[[श्रेणी:शिक्षा]]
(24.84 प्रतिशत)।
आज भारत में प्रौढ़ शिक्षा काफी विकास कर rahi
है।
[श्रेणी:शिक्षा]]
[[श्रेणी:प्रौढ़ शिक्षा|*]]