"गयासुद्दीन तुग़लक़": अवतरणों में अंतर

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ग़यासुद्दीन जब बंगाल में था, तभी सूचना मिली कि, ज़ौना ख़ाँ (मुहम्मद बिन तुग़लक़) [[निज़ामुद्दीन औलिया]] का शिष्य बन गया है और वह उसे राजा होने की भविष्यवाणी कर रहा है। निज़ामुद्दीन औलिया को ग़यासुद्दीन तुग़लक़ ने धमकी दी तो, औलिया ने उत्तर दिया कि, "हुनूज दिल्ली दूर अस्त, अर्थात दिल्ली अभी बहुत दूर है।<ref>{{cite web|first1=डेलीहंट|last1=ऐप|title=इस महान सूफी संत का ये वाक्य "हुनूज दिल्ली दूरअस्त" आज भी लोगों के जेहन में है|url=https://m.dailyhunt.in/news/india/hindi/samacharnama-epaper-samacnam/is+mahan+suphi+sant+ka+ye+vaky+hunuj+dilli+duraast+aaj+bhi+logo+ke+jehan+me+hai-newsid-65940672|website=Dailyhunt|accessdate=3 April 2018|archive-url=https://web.archive.org/web/20180504225521/https://m.dailyhunt.in/news/india/hindi/samacharnama-epaper-samacnam/is+mahan+suphi+sant+ka+ye+vaky+hunuj+dilli+duraast+aaj+bhi+logo+ke+jehan+me+hai-newsid-65940672|archive-date=4 मई 2018|url-status=live}}</ref> हिन्दू जनता के प्रति ग़यासुद्दीन तुग़लक़ की नीति कठोर थी। ग़यासुद्दीन तुग़लक़ संगीत का घोर विरोधी था। बरनी के अनुसार अलाउद्दीन ख़िलजी ने शासन स्थापित करने के लिये जहाँ रक्तपात व अत्याचार की नीति अपनाई, वहीं ग़यासुद्दीन ने चार वर्षों में ही उसे बिना किसी कठोरता के संभव बनाया।
 
== राजस्व सुधार ==
हिंदुओंअपनी सत्ता कीस्थापित करने माँके बाद ग़यासुद्दीन तुग़लक़ ने अमीरों तथा जनता को प्रोत्साहित किया। शुद्ध रूप से [[तुर्की]] मूल का होने के कारण इस कार्य में उसे कोई विशेष कठिनाई नहीं हुई। ग़यासुद्दीन ने कृषि को प्रोत्साहन देने के लिए किसानों के हितों की ओर ध्यान दिया। उसने एक वर्ष में इक्ता के राजस्व में 1/10 से 1/11 भाग से अधिक की वृद्धि नहीं भोषणaकरने का आदेश दिया।<ref name=":2">{{cite book|first1=आशिर्बादी लाल|last1=श्रीवास्तव|title=The Sultanate of Delhi (711- 1526 A.D.)|trans-title=दिल्ली सल्तनत (७११-१५२६)|date=१९५०|publisher=अगरवाल ऐन्ड कम्पनी, आगरा|location=भारत|page=१८२-२२८|accessdate=१२ जुलाई २०१५|language = en}}</ref> उसने सिंचाई के लिए नहरें खुदवायीं तथा बाग़ लगवाए। लगान / कर 1/10 लिया जाता था।
 
== सार्वजनिक कार्य ==
जनता की सुविधा के लिए अपने शासन काल में ग़यासुद्दीन ने क़िलों, पुलों और नहरों का निर्माण कराया। सल्तनत काल में डाक व्यवस्था को सुदृढ़ करने का श्रेय ग़यासुद्दीन तुग़लक़ को ही जाता है।<ref name=":2" /> ‘बरनी’ ने डाक-व्यवस्था का विस्तृत वर्णन किया है। शारीरिक यातना द्वारा राजकीय ऋण वसूली को उसने प्रतिबंधित किया।<ref name=":2" />
 
== धार्मिक नीति ==
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ग़यासुद्दीन एक कट्टर [[सुन्नी]] मुसलमान था। बाकी मुस्लिम शासकों जैसा ये भी शैतान था जिसने बेकसूर हिंदूओ और बौद्धो का कत्ल-ए-आम किया था ।[[इस्लाम]] धर्म में उसकी गहरी आस्था और उसके सिद्धान्तों का वह सावधानीपूर्वक पालन करता था। उसने मुसलमान जनता पर इस्लाम के नियमों का पालन करने के लिए दबाव डाला। वह अपने साम्राज्य के बहुसंख्यकों के धर्म के प्रति शत्रुभाव तो नहीं रखता था किंतु उनके प्रति दयावान् भी नहीं था।<ref name=":2" />
 
== मृत्यु ==