"अश्वत्थामा": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Draupadi and Ashvatthaman, Punjab Hills c. 1730.jpg|thumb|Draupadi and Ashvatthaman, Punjab Hills c. 1730]]
द्रौपदी के इन न्याय तथा धर्मयुक्त वचनों को सुन कर सभी ने उसकी प्रशंसा की किन्तु भीम का क्रोध शांत नहीं हुआ। इस पर श्रीकृष्ण ने कहा, “हे अर्जुन! शास्त्रों के अनुसार पतित ब्राह्मण का वध भी पाप है और आततायी को दण्ड न देना भी पाप है। अतः तुम वही करो जो उचित है।” उनकी बात को समझ कर अर्जुन ने अपनी तलवार से अश्वत्थामा के सिर के केश काट डाले और उसके मस्तक की मणि निकाल ली। मणि निकल जाने से वह श्रीहीन हो गया। श्रीहीन तो वह उसी क्षण हो गया था जब उसने बालकों की हत्या की थी किन्तु केश मुंड जाने और मणि निकल जाने से वह और भी श्रीहीन हो गया और उसका सिर झुक गया। अर्जुन ने उसे उसी अपमानित अवस्था में शिविर से बाहर निकाल दिया।
[https://www.hindimahiti.com/2019/11/blog-post_87.html कलियुग मे जीवन] <references/>
तब से लेकर अश्वत्थामा आज तक इस पृथ्वी पर घूम रहे हैं। जगह जगह उनको देखे जाने के किस्से सुनने को मिलते हैं। कहा जाता है की मध्यप्रदेश के बुरहानपुर शहर से 20 किलोमीटर दूर असीरगढ़ का किला है इस किले में स्थित शिव मंदिर में अश्वत्थामा को पूजा करते हुए देखा गया है। लोगो का कहना है की अश्वत्थामा आज भी इस मंदिर में पूजा करने आते हैं। अश्वत्थामा पूजा करने से पहले किले में स्थित तालाब में पहले नहाते हैं। अश्वत्थामा मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर के गौरीघाट (नर्मदा नदी) के किनारे भी देखे जाने का उल्लेख मिलता है। लोगो का कहना है की वो यहाँ अपने माथे से निकल रहे रक्त के दर्द से कराहते हैं। तथा स्थानीय लोगो से वो तेल और हल्दी मंगाते हैं वहां लगाने के लिए। इनको मध्यप्रदेश के जंगलो में भी भटकते हुए देखा गया है।
 
[[श्रेणी:महाभारत के पात्र]]