"घृत कुमारी": अवतरणों में अंतर

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'''घृत कुमारी''' या अलो वेरा/एलोवेरा, जिसे क्वारगंदल, या ग्वारपाठा के नाम से भी जाना जाता है, एक औषधीय पौधे के रूप में विख्यात है। इसकी उत्पत्ति संभवतः [[अफ़्रीका|उत्तरी अफ्रीका]] में हुई है। यह प्रजाति विश्व के अन्य स्थानों पर स्वाभाविक रूप से नहीं पायी जाती पर इसके निकट संबंधी '''अलो''' उत्तरी अफ्रीका में पाये जाते हैं। इसे सभी सभ्यताओं ने एक औषधीय पौधे के रूप में मान्यता दी है और इस प्रजाति के पौधों का इस्तेमाल पहली शताब्दी ईसवी से औषधि के रूप में किया जा रहा है। इसका उल्लेख [[आयुर्वेद]] के प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। इसके अतिरिक्त इसका उल्लेख [[नया नियम|नए करार]] (''न्यू टेस्टामेंट'') में किया है<ref>[[नया नियम|नए करार]] (''न्यू टेस्टामेंट'') से: (यूहन्ना 19:39-40 और वहां नीकुदेमुस भी आया, जो रात को पहले यीशु के पास गया और साथ लाया गन्धरस और अलो का मिश्रण...)</ref> लेकिन, यह स्पष्ट नहीं है कि बाइबल में वर्णित अलो और अलो वेरा में कोई संबंध है।
 
'''<u>[https://reshavrsnews.com/एलोवेरा-चेहरे-पर-कैसे-लगा/ क्या आप जानते हैं - एलोवेरा चेहरे पर कैसे लगाएं – और इसके क्या फायदे फायदे हैं]</u>'''
 
घृत कुमारी के अर्क का प्रयोग बड़े स्तर पर सौंदर्य प्रसाधन और वैकल्पिक औषधि उद्योग जैसे चिरयौवनकारी (त्वचा को युवा रखने वाली क्रीम), आरोग्यी या सुखदायक के रूप में प्रयोग किया जाता है, लेकिन घृत कुमारी के औषधीय प्रयोजनों के प्रभावों की पुष्टि के लिये बहुत कम ही वैज्ञानिक साक्ष्य मौजूद है और अक्सर एक अध्ययन दूसरे अध्ययन की काट करता प्रतीत होता है। इस सबके बावजूद, कुछ प्रारंभिक सबूत है कि घृत कुमारी [[मधुमेह]] के इलाज में काफी उपयोगी हो सकता है साथ ही यह [[होमो सेपियन्स|मानव]] [[रक्त]] में लिपिड का स्तर काफी घटा देता है। माना जाता है ये सकारात्मक प्रभाव इसमे उपस्थिति मन्नास, एंथ्राक्युईनोनेज़ और लिक्टिन जैसे यौगिकों के कारण होता है।<ref>[http://www.bhaskar.com/2009/01/06/0901061310_aloevera_beauty.html दैनिक भास्कर पर] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20090212204627/http://www.bhaskar.com/2009/01/06/0901061310_aloevera_beauty.html |date=12 फ़रवरी 2009 }} त्वचा संबंधी कई बीमारियों से मुक्ति के लिए एलोविरा</ref> इसके अलावा मानव कल्याण संस्थान के निदेशक और सेवानिवृत्त चिकित्सा अधिकारी डॉ॰गंगासिंह चौहान ने काजरी के रिटायर्ड वैज्ञानिक डॉ॰ए पी जैन के सहयोग से एलोविरा और मशरूम के कैप्सूल तैयार किए हैं, जो [[एड्स]] रोगियों के लिए बहुत लाभदायक हैं।<ref>[http://www.bhaskar.com/spotlight/aids_day/200712030712030353_mushroom.html दैनिक भास्कर पर] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20080905084713/http://www.bhaskar.com/spotlight/aids_day/200712030712030353_mushroom.html |date=5 सितंबर 2008 }} एड्स का इलाज!</ref> यह रक्त शुद्धि भी करता है।<ref>[http://halchal.gyandutt.com/2007/12/blog-post_26.html?showComment=1198677000000 हलचल पर] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20120204225250/http://halchal.gyandutt.com/2007/12/blog-post_26.html?showComment=1198677000000 |date=4 फ़रवरी 2012 }} रक्त की शुद्धता के लिये ग्वार पाठा</ref>