"गोरखपुर": अवतरणों में अंतर

पूर्वोत्तर रेलवे का पुराना नाम अवध तिरहुत रेलवे था.
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गोरखपुर एक प्रसिद्ध धार्मिक केन्द्र भी है जो [[बौद्ध धर्म|बौद्ध]], [[हिन्दू]], [[मुसलमान|मुस्लिम]], [[जैन धर्म|जैन]] और [[सिख]] सन्तों की साधनास्थली रहा। किन्तु मध्ययुगीन सर्वमान्य सन्त [[गोरखनाथ]] के बाद उनके ही नाम पर इसका वर्तमान नाम गोरखपुर रखा गया। यहाँ का प्रसिद्ध [[गोरखनाथ मन्दिर]] अभी भी [[नाथ]] सम्प्रदाय की पीठ है। यह महान सन्त [[परमहंस योगानन्द]] का जन्म स्थान भी है। इस शहर में और भी कई ऐतिहासिक स्थल हैं जैसे, [[बौद्ध धर्म|बौद्धों]] के घर, इमामबाड़ा,१८वीं सदी की दरगाह और [[हिन्दू]] धार्मिक ग्रन्थों का प्रमुख प्रकाशन संस्थान [[श्रीमद्भगवद्गीता|गीता]] गोरखपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन गोरखपुर शहर का रेलवे स्टेशन है। गिनेस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रेकॉर्ड्स के अनुसार विश्व का सर्वाधिक लम्बा प्लेटफॉर्म यहीं पर स्थित है। यह 1930 शुरू हुआ।
 
20वीं सदी में, गोरखपुर [[भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन|भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन]] का एक केन्द्र बिन्दु था और आज यह शहर एक प्रमुख व्यापार केन्द्र बन चुका है। [[पूर्वोत्तर रेलवे (भारत)|पूर्वोत्तर रेलवे]] का मुख्यालय, जो ब्रिटिश काल में '[[अवधबंगाल तिरहुतनागपुर रेलवे]]' के रूप में जाना जाता था, यहीं स्थित है। अब इसे एक औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित करने के लिये गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण <small>(गीडा/GIDA)</small> की स्थापना पुराने शहर से 15 किमी दूर की गयी है।
 
== जनसांख्यकीय आँकड़े ==